भाईदूज

भाई-बहन का प्यार,
हमेशा रहे अमर।
कोई भी विपदा आये,
लग जाये मेरी उमर।

भाई को तिलक लगा,
ले-ले सारी बलाएँ।
हाथों से मिठाई खिला,
दे बार-बार दुआएँ।

हँसी तुम्हारी देख के,
बहना भी मुस्कुराये।
कभी जो तुम रूठे तो,
बहना भी मायूस हो जाए।

बन्धन ये अनोखा है,
नहीं जिसका कोई मोल।
नहीं कोई ऐसी ताकत,
जो इनको दे तोल।

लड़ते-झगड़ते होते हैं बड़े,
पर मुसीबत में साथ हैं खड़े।
बहनों पर प्यार लुटाते हैं,
पल-पल खुशियाँ देते हैं।

भाई-बहन की दोस्ती,
कभी नहीं है छूटती,
दूरी कितनी भी हो,
कभी नहीं है टूटती।

भाई भी होता है कमाल,
बिन कहे समझे सब हाल।
बहन की रक्षा करे,
बनकर उसकी ढाल।

बिना भाई के,
हर बहन अधूरी है।
बिना बहन के,
भाई की दुनिया सूनी है।

भाई-बहन एक दूजे से,
मिलते बारम्बार।
बहुत अच्छे लगते हैं ऐसे,
पावन ये त्यौहार।

भाई-बहन के प्यार की,
मिसाल है ये त्यौहार।
बहुत बहुत मुबारकबाद,
भैयादूज का ये त्यौहार।

रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।

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