एक परीक्षा

एक परीक्षा हुई थी ऐसी
हज़ारों की किस्मत जगी हो जैसे
2011 का वो साल था
हर प्रतियोगी बहुत खुशहाल था

नौकरी मिलती लोग खुश हो जाते
4 साल पहले बहुत कुछ पाते
कार्तिक मास में लगा ग्रहण
ना सूर्य ग्रहण ना चंद्र ग्रहण

तारीखों पे तारीखें लगीं
कोर्ट ने सबकी किस्मत पलटी
हाल सबके बिगड़ने लगे
आस भी लोग छोड़ने लगे

प्राइवेट स्कूल और मार्केटिंग
कुछ तो छोड़ चले अपनी डार्लिंग
मुम्बई, दिल्ली पैसे कमाने
कुछ का बसा तो, कुछ घर बसाने

इलाहाबाद, लखनऊ फिर नई दिल्ली
tet मेरिट बनी बड़ी मनचली
ऐसे हाथ ना आने वाली
सरकारी नौकरी की दूर थी दिवाली

इतिहास की सबसे बड़ी परीक्षा
कितनों की टूटी इच्छा
जबाब देते-देते सब थक गए
जॉइनिंग को लोग तरस गए

फेसबुक, वाट्सएप्प पे आर्डर पढ़ते
एक-दूसरे को सांत्वना देते
जेब काट के पैसा जुटाते
घर, बाहर से ताना भी खाते

उड़े बाल और दाढ़ी पकी
जिंदगी फटी चप्पल सी हुई
मुँह उठा के कहा पे जाए
बाबू की परीक्षा का भी सिलेबस अब समझ ना आये

ना जाने किसकी दुआ थी रंग लाई
पटे कुएं और खत्म हुई खाई
2015 की दिवाली में कुछ नया हो गया
सबका मुँह मीठा हो गया

"13 नवंबर 2011 को सम्पन्न हुई प्रथम टेट परीक्षा की 7 वी वर्षगाँठ पे "

रचयिता
विनोद कुमार श्रीवास्तव,
जौनपुर।

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