उत्तर प्रदेश का मैदान

हिमालय के चरण स्पर्श करता
प्रकृति का अनुपम दान है,
जिस भूमि में हृदय हमारा
वो उत्तर प्रदेश का मैदान है।।

गंगा जमुना इस मिट्टी को
हिमगिरि से बहा कर लाई,
कण-कण बूटी महके इसमें
बनी धरा बहुत उपजाई,
हर किस्म की फसल लहराए
बड़े-बड़े बने हैं बागान ,
जीव संरक्षण क्षेत्र तराई
कार्बेट जैसे ख़ास उद्यान
काशी, अयोध्या, आगरा, मथुरा
प्रयाग देता संगम का ज्ञान,
ब्रज, खड़ी, अवधी बोली
भोजपुरी हमारा अभिमान है,
जिस भूमि में हृदय हमारा
वो उत्तर प्रदेश का मैदान है।।

भाग पठारी दखिन का
वो बुंदेली वीरों का नूर,
आल्हा-कजरी गायी जाती
क्षेत्र खनिज संपदा से भरपूर,
रिहंद विद्युत् योजना देखो
सोनभद्र की है बान शान,
मरदानी झाँसी की रानी की
हर मुख करता कथा बखान,
हम खाने के बहुत शौक़ीन
स्वादिष्ठ पकवानों को दे सम्मान,
हो सादी रोटी और बाटी चौखा
चाहें मुगलई या रुमाली नान,
भिन्न-भिन्न हमारे मत हों बेशक
कार्य हमारे महान हैं
जिस भूमि पर हृदय हमारा
वो उत्तर प्रदेश का मैदान है।।

रचयिता
योगेश कुमार,
सहायक अध्यापक,
नंगला काशी 
विकास खण्ड-धौलाना,
जनपद-हापुड़।
 

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