श्यामपट्ट कार्य की सालगिरह

27 नवम्बर का वो दिन,
जब नया आगाज हुआ था।
नई जानकारी से भरा हर दिन,
दैनिक श्यामपट्ट कार्य लाया था।

सुविचार रोज हमें मिला,
नैतिकता बच्चों में आई।
माता -पिता का आदर सीखा,
दोस्ती में गहराई आयी।

सामान्य ज्ञान का प्रश्न भी आया,
फिर हर विषय मुस्कुराया।
थोड़ा-थोड़ा ज्ञान फैलाया,
बच्चों को भी समझ में आया।

Today's word भी मिला,
बच्चों का चेहरा खिला ।
बूँद-बूँद कर जैसे ,
ज्ञान का सागर भरा।

समय-समय पर पहेली आयी,
सारे बच्चों को भायी।
उल्टे सीधे अंदाजे लगाते,
अंत मे उत्तर सही बताते।

वर्ग पहेली का खेल निराला,
हर विषय पर पाँव पसारा।
बोझिल लगते टॉपिक को भी,
हँसते-हँसते कर डाला।

फिर आयी खास दिन की बारी,
जिसमें भरी बहुत जानकारी।
कभी किसी का जन्मदिन मनाएँ,
पुण्यतिथि पर शीश झुकाएँ।

समय-समय पर प्रयोग नए,
बच्चों को भी भाए।
तर्कशक्ति के प्रश्नों से,
दिमाग की बत्ती जलाएँ।

श्यामपट्ट कार्य के कारण बच्चे,
उत्सुकता से भरे रहते।
आज क्या होगा मैडम जी,
ये सवाल भी रोज पूछते।

जो बच्चा कभी नियमित न आता था,
शायद स्कूल न भाता  था।
श्यामपट्ट कार्य के कारण आज,
वो भी मामा घर से दौड़ा आता।

श्यामपट्ट कार्य ने वर्तमान सजाया,
भविष्य की नींव में ईंट लगाई।
श्यामपट्ट कार्य की सालगिरह पर,
आप सभी को हार्दिक बधाई।

रचयिता
रीना सैनी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गिदहा,
विकास खण्ड-सदर,
जनपद -महाराजगंज।

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