बसंत आगमन
माघ शुक्ल तिथि पंचमी आए,
हरित धारा मृदुल उमंग लाए।
कर जोड़ माँ शारदा के गुण गाएँ,
मिल जुलकर बसंत पर्व मनाएँ।।
देखो कैसी अनोखी छटा छाई है,
बसंत ऋतु मन को हर्षाने आई है।
कलियाँ कलियाँ मुस्कुराईं,
फूलों ने भी खुशबू महकाई।।
सोलह श्रृंगार में सजी है वसुंधरा,
रंग बिरंगी तितलियों से झूमती धारा।
मन मस्त होकर भंवरे गूँजते,
धारा, उपवन सभी तो झूमते।।
मन लुभाए कोयलिया की बोली,
महके मंजरी से आम की डली।
बहे पवन मधुरम-मधुरम,
जीवन गाए नई सरगम।।
रचयिता
प्रियंका गौतम,
प्रधानाध्यापक,
कंपोजिट विद्यालय कन्या एत्मादपुर,
विकास खण्ड-एत्मादपुर,
जनपद-आगरा।
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