24/2025, बाल कहानी- 14 फरवरी
बाल कहानी- बच्चों की मनोदशा
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वैसे तो बच्चे शैतानी करते ही रहते हैं। मेरी कक्षा की एक बच्ची, जिसका नाम सुनीता है, आवश्यकता से अधिक शैतानी करती थी। कभी किसी को चिमटी काट लेती, किसी के बाल खींचती है, कभी किसी को दाँत से काट लेती। मैं खुद उस बच्ची से बहुत परेशान हो गई थी। समझ नहीं आ रहा था, उसे कैसे समझाऊं? क्योंकि मैं खुद एक अध्यापिका हूँ। उस बच्ची को डाँट-मार भी नहीं सकती। आज मैं कक्षा में पढ़ा रही थी, तभी सुनीता आकर मुझसे बोली, "मैंम! मुझे पानी पीने जाना है।" मैं पढ़ा रही थी।
"थोड़ी देर में जाना।" मैंने उसे बैठने को बोला। "मुझे पानी पीने जाना है।" उसके दुबारा कहने पर मैंने फिर उसे मना कर दिया तो सुनीता को गुस्सा आ गया। वह गुस्से में पेन और कॉपी फेंककर घर भाग गयी। उसकी इस हरकत पर मुझे भी बहुत गुस्सा आया। मैं कक्षा में दूसरी शिक्षिका की ड्यूटी लगाकर सुनीता के घर चली गयी। दो-तीन आवाजें लगाने के बाद भी किसी ने मेरी आवाज नहीं सुनी। फिर मुझे उसके घर के अन्दर से लड़ाई-झगड़े की आवाजें सुनायी दीं। सुनीता के मम्मी-पापा बुरी तरह से लड़ रहे थे, तभी मेरी नजर सुनीता पर गई, वह चुपचाप सब देख रही थी। शायद उसके लिए यह दृश्य रोज का था। सुनीता के पापा ने जैसे ही मुझे देखा, वह शान्त हो गए। मुझसे घर आने का करण पूछने लगे। मैंने भी बात को छुपाते हुए कहा, "सुनीता को तुलसी पत्ती लाने के लिए बोला था, मगर इसको देर हो गई। इसलिए मैं स्वयं ही आ गयी। अब मैं समझ गई कि सुनीता इतनी चिड़चिड़ी क्यों रहती है।" समय देखकर मैंने सुनीता के माता-पिता को समझाया। अब वे दोनों लड़ाई-झगड़ा नहीं करते हैं। सुनीता के व्यवहार में भी परिवर्तन आया। पहले से खुश रहने लगी। बच्चों का मन बहुत ही कोमल होता है। वह जो देखते हैं, वही सीखते हैं। सुनीता के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा था। अगर आपके आस-पास कोई बच्चा ऐसा है तो पहले उसको समझें कि ऐसा बर्ताव क्यों कर रहा है? मैं अपनी ही कक्षा के बच्चों से रोज कुछ न कुछ सीखती हूँ।
#संस्कार_सन्देश-
बिना जाने बच्चों को डाँटने से पहले उनकी मनोदशा को समझें।
कहानीकार-
#भावना_वर्मा (स०अ०)
प्रा० वि० बम्हौरी (सुहागी)
शंकरगढ़, बंगरा (झाँसी)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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