16/2025, बाल कहानी - 4 फरवरी
बाल कहानी - रोशनी की समझदारी
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रामू बहुत गरीब था। गाँव में सब्जी बेचकर वह अपने परिवार का खर्चा चलाता था। वह अपनी दोनों बच्चियों रोशनी और रानी को गाँव के सरकारी स्कूल में पढ़ने भेजता था। रामू की पत्नी सदा घर का काम-काज करती थी और अपने पति की सब्जी का ठेला लगाने भी मदद करती थी।
रोशनी की उम्र लगभग बारह वर्ष की हो गयी थी। उसने कक्षा पाँच तक की पढ़ाई पूरी कर ली थी। रोशनी पढ़ने में बहुत होशियार थी। कक्षा में जो भी पढ़ाया-समझाया जाता था, वह उसे याद कर लेती थी।
रोशनी का अब छ: में दाखिला होना था, लेकिन रामू का मन उसे आगे पढ़ाने का नहीं था। वह चाहता था कि रोशनी घर के काम काज में अपनी माँ का हाथ बँटाये। पर रोशनी आगे पढ़ना चाहती थी। उसने किसी तरह अपनी माँ को इसके लिए राजी कर लिया। पत्नी के बार-बार कहने पर रामू भी रोशनी का दाखिला उच्च प्राथमिक विद्यालय में कराने के लिए तैयार हो जाता है। पर समस्या यह थी कि गाँव में उच्च प्राथमिक विद्यालय नहीं था। गाँव के बच्चियों की पढ़ाई इसी कारण बन्द हो जाती थी।
रोशनी अपनी सहेलियों को आगे पढने के लिए किसी तरह राजी कर लेती है। सभी का दाखिला हो जाता है। सभी एक साथ विद्यालय जाने लगती हैं। लेकिन कुछ समय बाद एक समस्या आ जाती है। गाँव के बाहर सड़क पर कुछ लड़के इन्हें रोज परेशान करने लगते हैं।
सभी लड़कियाँ बिना कुछ कहे विद्यालय जाना छोड़ देती हैं, पर रोशनी यह बात अपने घर पर नहीं बता सकती थी। उसे डर था कि ऐसा करने से उसके पिताजी उसकी पढ़ाई बन्द करा देंगे। वह हार नहीं मानती और सूझ-बूझ से काम लेती है।
वह अकेले ही विद्यालय पहुँच जाती है। अध्यापिका द्वारा पूछने पर सारी बात उन्हें बताती है और उनके मोबाइल से महिला हेल्पलाइन नंबर 1090 पर कॉल करके उनसे मदद माँगती है।
आज रोशनी अपनी सभी सहेलियों को समझा-बुझाकर साथ लाती है। जैसे ही गाँव के बाहर सड़क पर पहुँचती है, रोज की तरह वे लड़के लड़कियों को छेड़ने लगते हैं। वहाँ छिपी पुलिस उन लड़कों को तुरन्त पकड़ लेती है और उन्हें थाने ले जाती है।
रोशनी जब विद्यालय पहुँचती है तो सभी अध्यापक उसकी प्रशंसा करते हैं। अब यह बात पूरे गाँव में फैल जाती है और रोशनी की चारों ओर बढ़ाई होती है। सभी अपनी बेटियों को नियमित विद्यालय भेजने और आगे पढ़ाई जारी रखने का प्रण लेते हैं।
#संस्कार_सन्देश-
हमें छोटी-छोटी समस्याओं से घबराकर बेटियों की शिक्षा बन्द नहीं करनी चाहिए। बेटियों को शिक्षा प्राप्त कराने के पूर्ण अवसर देने चाहिए।
कहानीकार-
#मृदुला_वर्मा (स०अ०)
प्रा० वि० अमरौधा प्रथम
अमरौधा (कानपुर देहात)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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