15/2025, बाल कहानी - 3 फरवरी


बाल कहानी- संवेदना
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आज पन्द्रह जनवरी दो हजार पच्चीस को पन्द्रह दिन की छुट्टी के बाद विद्यालय जाने का पहला दिन था। मैं मन में उत्साह एवं उमंग लेकर विद्यालय गयी। जैसे ही विद्यालय पहुँची तो बच्चों के चेहरे खुशी से खिल गये। नए वर्ष की शुभकामनाओं के साथ बिस्कुट और टॉफी बाँटी और बच्चों के साथ रसोई में मैक्रोनी बनायी और खिलायी। 
जहाँ सभी बच्चे हँस रहे थे, खेल रहे थे, खा रहे थे, वहीं पर एक बच्चा उदास बैठा था। उसका नाम नैतिक था। मैं उसके पास गयी और उससे पूछा-, "क्या हुआ बेटा! चुपचाप क्यों बैठे हो, सारे बच्चों के साथ क्यों नहीं खेल रहे?" उस बच्चे ने कहा-, "दीदी! मैं आपको कुछ बताना चाहता हूँ।" कहकर वह रोने लगा। मैंने उसके आँसू पोंछकर पूछा-, "क्या हुआ नैतिक?" नैतिक ने बताया कि-, "मेरे घर के पास बहुत सारे कुत्ते के पिल्ले हैं। मैं उनको रोज बिस्किट खिलाता हूँ। आज मेरे पापा ने मुझे उन्हें बिस्किट खिलाते हुए देख लिया तो पापा ने मुझे भी मारा और पिल्लों की भी डण्डे से पिटाई कर दी, जिससे एक पिल्ले को ज्यादा चोट लगी। अब वह चल भी नहीं पा रहा है और रोता रहता है।" बच्चों की यह बात सुनकर मैं खुद उसके साथ गाँव में गयी। उस पिल्ले को गोद में उठाकर विद्यालय में ले आयी। उसे बोरे पर धूप में बिताया और कपड़ा गर्म करके उसकी पीठ की सिकाई की। ऐसा रोज लगभग एक हफ्ते तक किया। ऐसा करने से पिल्ला बिल्कुल स्वस्थ हो गया और फिर बिस्कुट मँगाकर सब बच्चों से उसे खिलाने को कहा-, "नैतिक के चेहरे पर फिर से मुस्कान आ गई। मैं भी उसे देखकर खुश हुई।

#संस्कार_सन्देश -
अगर तुम इन्सान हो तो सभी के प्रति दयावान बनो। सहिष्णु और करुणावान रहो। स्वयं को पहचानो।

कहानीकार-
#भावना_वर्मा (स०अ)
प्रा० वि० शंकरगढ़
ब्लाॅक- बँगरा, झाँसी (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया 
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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