नित अर्चना
वह कल्याणकारी रात्रि जब
पाकर प्रभु का आशीष
मिल जाए वह डगर
जो जाए सत्कर्मों की ओर,
मिट जाए अंधकार अज्ञानता का
हो जाए सरल मार्ग परमात्मा का।
ओम् का गुंजन करे सृष्टि का कल्याण
इसीलिए हो महाशिवरात्रि तेरस को,
तेरस है धनतेरस का दिन,
पायें हम आरोग्य धन
जो है जीवन का अमूल्य धन।
ओम् ही आत्म- चिंतन,
ओम् ही परमात्म- मनन,
ओम् ही शाश्वत सत्य,
ओम् ही सत्यम् शिवम् सुंदरम्।।
रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।
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