हे माँ शारदे

तेरे ही सुरों से महक रहा ये जहां, 

तेरी ही वीणा से झूम रहा ये समां, 

सरगम ने छेड़ा ऐसा जादू, 

कण-कण लेने लगा श्वांस, 

हे माँ शारदे तुम्हीं तो हो स्वरों की सरताज। 

तुम बिन सुना सब संसार, 

तेरी ही सुरों से महक रहा ये जहां, 

तेरी ही वीणा से झूम रहा ये समां। 


तेरी ही सुरों से होता सुबह का आगाज, 

होता हर पहर तेरे ही सुरों का साज

होती है सब पर तेरी ही कृपा, 

तुझसे ही सजता जीवन का साज, 

हे माँ शारदे बस सदा देना अपना साथ। 

तुझसे ही है जीवन का आगाज, 

तेरी ही सुरों से महक रहा ये जहां, 

तेरी ही वीणा से झूम रहा ये समां, 

हे माँ शारदे, हे माँ शारदे

मन मंदिर बना दे, मन मंदिर बना दे।

 

हे माँ शारदे आपको कोटि- कोटि नमन, 

कोटि - कोटि चरण वन्दन, 

हे माँ शारदे, 

अपनी कृपा कर, जीवन को तार दे।।


रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।

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