22/2025, बाल कहानी - 11 फरवरी


बाल कहानी - महाकुम्भ
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गाँव में रहने वाला गरीब किसान रामदास आज बहुत खुश था। आज ही उसके इकलौते पुत्र मगन को ईश्वर के आशीर्वाद से पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई थी। सोचा कि क्यों ना एक सौ चवालीस साल बाद लगे अद्भुत योग में प्रयागराज महाकुम्भ में चलकर माँ गंगा में स्नान करके उनका शुक्रिया अदा कर आऊँ। घर में खुशियाली छायी हुई हैं। घर के सभी सदस्य खुशियों में डूबे हुए हैं।रामदास अपनी पत्नी सीता से अपने दिल का हाल बताता है तो वह भी खुशी-खुशी चलने को तैयार हो जाती है। एक झोले में हल्का कम्बल और कपड़े रखकर दोनों प्राणी महाकुम्भ की ओर निकल पड़ते हैं। वे बस में बैठकर रेलवे स्टेशन पहुँचते हैं और रेलगाड़ी से छुक-छुक करते हुए प्रयागराज जंक्शन पर उतरते हैं।
उतरते ही देखते हैं कि अधिसंख्य जन-सैलाब संगम की तरफ पैदल ही चल पड़ा है। रामदास सोचता है कि जल्दी चलकर संगम घाट पर पहुँच जाऊँ और सुबह तड़के ही स्नान कर लूँगा। 
रामदास अपनी पत्नी के साथ संगम तट की तरफ जा ही रहा था कि अचानक भीड़ में रामदास का पत्नी सीता से हाथ छूट जाता है। पत्नी सीता मेले में बिछड़ जाती है और रामदास स्नान का ध्यान छोड़कर परेशान होकर अपनी पत्नी को इधर-उधर खोजने लगता है। पढ़ा-लिखा न होने के कारण उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे और किधर जाये? इतने में एक पुलिस का जवान अमित उसे दिखायी देता है और वह अमित से अपनी आप-बीती बताता है। अमित रामदास को खोया-पाया केंद्र लेकर जाता है। वहाँ माइक से जब सीता का नाम बुलाया जाता है तो सीता पुलिस के दूसरे जवान मनीष की मदद से खोया-पाया केन्द्र में पहुँचती है। दोनों एक-दूसरे को देखकर रोने लगते हैं और सुरक्षा में लगे पुलिसकर्मियों को 'धन्यवाद' देकर संगम स्नान करके घर की तरफ निकल पड़ते हैं।

#संस्कार_सन्देश
किसी भी आयोजन की सफलता सदैव सहयोग पर ही निर्भर करती है। आज के समय में पढ़ा-लिखा होना बहुत जरुरी है।

कहानीकार-
#दीपक_कुमार_यादव (स०अ०)
प्रा० वि० मासाडीह,
महसी, बहराइच (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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