35/2025, बाल कहानी- 28 फरवरी
बाल कहानी - सुन्दरता
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सुनैना और साक्षी दो बहने थीं। सुनैना, साक्षी से लगभग दो वर्ष बढ़ी थी। साक्षी का रंग-रूप सुन्दर था। साक्षी का गौरवर्ण, लंबा कद, तीखे नैंन-नक्श, कमर तक लहराते बाल, जो भी साक्षी को देखता, उसकी तारीफ करता।
वहीं सुनैना सामान्य से रंग-रूप की गुणवान लड़की थी। सुनैना घर के कामों में तो दक्ष थी ही, साथ ही वह, पढ़ाई-लिखाई में भी कक्षा में सदैव प्रथम आती थी। साक्षी सदैव अपने को सजाने-संवारने में ही अपना सारा समय लगाती। वह ना तो घर के काम करती और ना ही पढ़ाई में अपना मन लगाया करती थी।
परन्तु उसके सुन्दर रूप की वजह से घर वाले भी उसकी ही तारीफ करते और सुनैना को घर के कामों में लगाए रखते।
समय बीतता गया। सुनैना और साक्षी दोनों बहनों ने पुलिस अधिकारी परीक्षा के लिए आवेदन किया। सुनैना जब भी साक्षी से पढ़ाई करने के लिए कहती तो साक्षी उसकी बात अनसुनी कर देती। सुनैना ने पूरे मन से परीक्षा की तैयारी की और वही साक्षी अपने बनाव-श्रृंगार में ही लगी रही।
जब पुलिस अधीक्षक की परीक्षा का परिणाम आया तो सुनैना ने वह परीक्षा पास कर ली और ट्रेनिंग के लिए चली गयी।
कुछ दिन बाद जब वह पुलिस अधिकारी बनकर पुलिस अधीक्षक की यूनिफॉर्म पहनकर अपने घर आयी, तब घरवालों सहित पूरा गाँव उसे देखता ही रह गया। सभी ने उसकी सराहना की। अब उसकी बहन साक्षी को एहसास हुआ कि सच्ची सुन्दरता रूप की नहीं, बल्कि व्यक्तित्व और ज्ञान की होती है।
#संस्कार_सन्देश-
सुन्दरता का मतलब सिर्फ शारीरिक सुन्दरता ही नहीं, बल्कि व्यक्ति की सुन्दरता उसके व्यवहार, ज्ञान, और व्यक्तित्व से झलकती है।
कहानीकार-
#रचना_तिवारी (स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय ढिमरपुरा (पुनावली कलां )
बबीना, झाँसी (उत्तर प्रदेश)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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