33/2025, बाल कहानी- 25 फरवरी
बाल कहानी - रोशनी की जिद
----------------------
आज मोहन बहुत खुश था। वह अपनी बिटिया की हर इच्छा पूरी करता था। उसने रानी के कहने पर प्राइवेट स्कूल में उसका नाम लिखवा दिया था। रानी का आज नये स्कूल में दाखिला हो गया था।
रानी अपने माता-पिता की इकलौती सन्तान थी। पर वह बहुत जिद्दी स्वभाव की थी। पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। कक्षा में हरदम प्रथम आती थी। अध्यापक भी उससे बड़ा प्यार करते थे। उसके पिता मोहन मजदूरी करके जैसे-तैसे अपनी बच्ची को पढ़ा रहे थे। रानी की किताबें और ड्रेस में काफी पैसा खर्च हो जाता था।
उधर रानी इन सबसे अनजान कक्षा में अपनी सहेलियों सो झूठ बोलती थी। वह सभी से बताती थी कि, "उसके पापा बिजनेस करते है, वह अमीर है।"
धीरे-धीरे साल व्यतीत हो चली थी।
वह अपनी सहेलियों से अच्छा दिखने के लिए अपने पिता से रोज नयी चीजों की फरमाइश करती थी। धीरे-धीरे उसकी इच्छाएँ बढ़ती जा रही थीं। उधर मोहन भी उसकी इन आदतों से बहुत परेशान रहने लगा था।
आर्थिक तंगी चल रही थी। तभी रानी ने एक और नई साइकिल की जिद करी। उसके माता-पिता ने बहुत समझाया, पर रानी ने उनकी एक न सुनी। उसने शाम का भोजन भी नहीं किया और भोजन किए बिना ही सो गई।
मोहन को समझ में नहीं आ रहा था कि अपनी बेटी को कैसे समझाएँ? आर्थिक तंगी के चलते परिवार का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था।
मोहन ने फैसला किया कि वह दिन भर मजदूरी करेगा और रात में भी कुछ कार्य मिलेगा, तो वह करेगा।
कड़ी मजदूरी करके मोहन ने रानी को नई साइकिल लाकर दे दी।
अब रानी बहुत खुश थी। रानी साइकिल से स्कूल से वापस आ रही थी, तभी उसने देखा कि पास में ही रास्ते में एक दुकान पर उसके पिता मजदूरी कर रहे थे। उनके पीठ पर एक भारी बोरा रखा था।
यह देखकर रानी की आँखों से आँसू बहने लगे क्योंकि उसने कल्पना नहीं करी थी कि पिता इतनी मुश्किल से परिवार का भरन-पोषण करते हैं। स्कूल से वापस आकर रानी उदास होकर चुपचाप बैठ गई थी। जब उसके पिता रात में घर आए तो रानी ने अपने पिता के हाथों को देखा, जिसमें बड़े-बड़े छाले हो गए थे। यह देखकर वह रोने लगी।
रानी ने रोते हुए पिता से वादा किया कि, "आज के बाद वह कभी भी नयी-नयी चीजों की जिद नहीं करेगी और माता-पिता की हर बात मानेगी।
#संस्कार_सन्देश-
हमें नई-नई चीजों के लिए माता-पिता जिद नहीं करनी चाहिए और अपने से बड़ों को कहना भी मानना चाहिए।
कहानीकार-
#मृदुला_वर्मा (स०अ०)
प्रा० वि० अमरौधा प्रथम
अमरौधा (कानपुर देहात)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद- फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
Comments
Post a Comment