19/2025, बाल कहानी- 07 फरवरी


बाल कहानी- डिजिटल अरेस्ट
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राम नारायण शुक्ला माधवपुर गाँव के निवासी थे। उनका कपड़े का बहुत बड़ा व्यवसाय था। शुक्लाजी का बेटा दीपक अलीगढ़ के एक कॉलेज में मेडिकल की पढाई कर रहा था।
एक दिन शुक्लाजी को एक अनजान नंबर से कॉल आती है। अनजान नंबर देखकर शुक्लाजी ने पहले कॉल नहीं उठायी, लेकिन फिर कई बार कॉल आने पर कॉल रिसीव की। दूसरी तरफ से आवाज आयी, "राम नारायण शुक्ला बोल रहे हैं, दीपक आपका ही बेटा है?"
शुक्ला जी-, "जी हाँ,आप कौन?"
दूसरी तरफ से-, "पुलिस के पास आपके बेटे के खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई है। ड्रग्स के केस में उस पर एफ०आई०आर० दर्ज हुई है। उसको गिरफ्तार कर लिया गया है।"
यह सुनकर शुक्ला जी के होश उड़ गये। 
"नहीं, झूठ बोल रहे हैं आप। मेरा बेटा ऐसा नहीं है। जरूर आपको कोई गलतफहमी हुई है।"
पुलिस-, "हमारे पास आपके बेटे के खिलाफ सुबूत हैं। वीडियो कॉल कर रहे हैं। आप खुद देख लें।"
वीडियो कॉल करके पुलिस ने सुबूत दिखाया, जिसमें दीपक ड्रग्स लेते दिख रहा था। पुलिस ने उसको अरेस्ट किया है।"
शुक्लाजी रोने लगे, "मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूँ। मेरे बेटे को रिहा कर दें। ये बात किसी को न पता चले, नहीं तो उसका करियर खत्म हो जायेगा..बहुत बदनामी होगी..।"
पुलिस, "ठीक है ! लेकिन आपको इसका हर्जाना भरना पड़ेगा। आपको चार लाख रुपए देने पड़ेंगे, तभी ये केस खत्म होगा। आपके बेटे को रिहा कर दिया जायेगा।"
शुक्लाजी दु:खी स्वर में बोले, "ठीक है ! मैं अभी आपको चार लाख रुपये ट्रान्सफर किए देता हूँ।" उन्होंने फौरन चार लाख रुपए ट्रान्सफर कर दिये।"
पुलिस, "अब आपके बेटे को रिहा कर दिया जायेगा। आप भी ये बात किसी को नहीं बतायेंगे।"
शुक्ला जी बोले, "ठीक है। "शुक्ला जी ने राहत की साँस ली।
शाम को शुक्ला जी ने सोचा कि अब तो दीपक हॉस्टल पहुँच गया होगा। कॉल करके पूछते हैं। शुक्ला जी ने कॉल की ।
दीपक ने फोन उठाया, "हेलो पापा!"
शुक्ला जी, "बेटा! कैसे हो? आखिर ये सब कैसे हुआ? पुलिस तुमको कैसे गिरफ्तार करके ले गयी थी?"
दीपक बड़े आश्चर्य से बोला, "क्या हुआ पापा.. कैसी पुलिस? मैं तो क्लास में था। मेरी क्लास चल रही थी। क्लास में फोन ले जाने की अनुमति नहीं होती है। मैं शाम को रूम पर पहुँचकर आपसे बात करता हूँ।"
शुक्ला जी के पैरों तले जमीन खिसक गयी। शाम को शुक्लाजी ने दीपक को सारी घटना सुनायी। दीपक ने भी सिर पीट लिया। 
"पापा! ये फ्रॉड था। डिजिटल फ्रॉड और आपने इस झाँसे में आकर पैसे दे दिए?"

#संस्कार_सन्देश -
किसी भी डिजिटल फ्रॉड से घबराकर हमें पैसे नहीं देना चाहिए। बिना डरे उसका सामना करना चाहिए और तुरन्त नजदीकी थाने में सूचना देनी चाहिए। 

कहानीकार-
#रुखसार_परवीन (स०अ०)
संविलयन विद्यालय गजपतिपुर
बहराइच (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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