27/2025, बाल कहानी- 18 फरवरी
बाल कहानी - जंगल में परी
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एक बार एक जंगल में बहुत जोर की आँधी आयी। आँधी आने से उस जंगल के पेड़-पौधे टूट-टूटकर गिरने लगे। उन पेड़-पौधे के फल-फूल और पत्ते टूट-टूटकर हवा में चारों ओर उड़ते हुए बिछ गये। फल-फूल और पत्तियाँ बिछने से जंगल में चारों ओर अजीब सी तरह-तरह की खुशबुओं वाली सुगन्ध फैल गयी। सुगन्ध फैलने से सारा जंगल मँहक उठा। उसकी मँहक दूर-दूर तक फैलने लगी।
कुछ देर बाद उस जंगल में एक परी हाथ में छड़ी लिए मुस्कुराती हुई आयी और चारों ओर देखने लगी। वह अपनी नाक से जोर से सुगन्ध सूँघती और आँखें बन्द करके ध्यानस्थ सी हो जाती। उस समय एक अजीब सी खिलावट उसके चेहरे पर छाकर उसे सौन्दर्य से भर देती। परी कुछ देर घूमने के बाद वहीं पत्तों और फूलों पर बैठ गयी और उन पर हाथ फेरने लगी। इसके बाद वह लेट गयी और लेटते ही उसे नींद आ गई।
जब उसकी आँख खुली तो उसने देखा कि भोर की पीली-लाल किरणें वृक्षों के पत्तों से छन-छन कर आती हुई उसके ऊपर पड़ रही हैं। वह एकाएक उठी और चारों ओर देखकर अपनी छड़ी को उठाकर खड़ी हो गयी।
तभी उसने देखा कि पास ही एक वृक्ष की ओट से एक आठ-दस साल का बालक बाल-सुलभ चपलता वश बड़ी उत्सुकता से उसकी ओर देख रहा है। परी उसकी ओर बढ़ी और बोली, "बाहर आओ! तुम कौन हो, यहाँ इतनी सुबह..?"
"नहीं..नहीं..परी रानी! मैं जब कल अपनी गाय को ढूँढ़ते हुए यहाँ आया था तो आप वृक्षों के पत्तों और फूलों पर आनन्द से सो रही थीं। मैंने सोचा, आप थकी होंगी। सुबह आऊँगा, तब-तक आप सोकर उठ जायेंगी। पर अभी भी आप सो रही थीं। क्या कहीं से दूर की यात्रा करके आ रही हैं, जो इतनी देर तक थकान के कारण सोती रही?"
परी मन्त्रमुग्ध हो उस बालक की मधुर वाणी को सुन और समझ रही थी। परी ने कहा, हाँ! मैं सचमुच बहुत ही थकी हुई थी। पर ये बताओ कि जब तुम्हें मेरे बारे में कल से पता था तो मेरे लिए खाने के लिए कुछ क्यों नहीं लाये?"
बालक बोला, "ऐसा कैसे हो सकता है? मैं अपनी माँ से आपके लिए स्वादिष्ट पकवान और मिठाई बनवाकर लाया हूँ। मैंने सुना था कि परियों को ये सब बहुत पसन्द है।"
"अच्छा! तो फिर कहाँ हैं आपकी माँ के बनाये स्वादिष्ट पकवान और मिठाई?" सुनते ही वह बालक तुरन्त वृक्ष की ओर में रखा खाने का टिफिन उठाकर ले आया और परी को दे दिया, लीजिए परी रानी! ये आपके लिए स्वादिष्ट पकवान और मिठाई..।" परी टिफिन लेकर वहीं बैठ गयी और 'आओ' कहकर उस बालक को भी अपने पास बैठा लिया। परी ने टिफिन खोलकर मिठाई और पकवान खाये और अपने हाथों से उस बालक को भी खिलाया।
"बहुत ही स्वादिष्ट पकवान और मिठाई है तुम्हारी माँ के। पर तुमने अपना नाम नहीं बताया?"
"अभिनव! मेरा नाम अभिनव है परी रानी!" बालक बोला।
"बहुत सुन्दर नाम है। अच्छा बताओ, अब खाना खिलाने के बदले तुम्हें क्या चाहिए?" अभिनव बोला, "कुछ नहीं। मैंने इसके लिए न आपको खाना दिया है कि बदले में कुछ लूँ।" यह सुनकर परी बहुत प्रसन्न हुई और बोली, "बच्चों को जादू का खेल बहुत पसन्द होता है। मैं आपको परियों का जादू दिखाऊँगी। बताओ, क्या चाहिए तुम्हें?"
"बहुत सारे खिलौने और मम्मी-पापा के और मेरे लिए कपड़े..?"
"ठीक है।" यह कहकर परी ने अपनी जादुई छड़ी घुमाई और अभिनव के लिए खिलौने और कपड़े मँगा दिये और कहा कि, "अब तुम अपने घर जाओ! अब यहाँ कभी भी अकेले न आना। यहाँ दूर घने जंगल में जंगली जानवर रहते हैं। कभी-कभार वे घूमते हुए यहाँ तक भी रात को आ जाते हैं।"
"क्या आपने उन्हें रात को देखा है?"
"हाँ! जब वे आये तो मैं इस पेड़ पर चढ़ गयी थी। पत्तों की सरसराहट की आवाज से मैं जाग गयी थी और समझ गयी थी कि कोई आ रहा है यहाँ पर।"
"तब तो मैं अकेले यहाँ कभी नहीं आऊँगा।"
"ठीक है, अब तुम अपने घर जाओ!" यह कहकर परी ने उसके सिर पर हाथ फेरा और कहा, "खुश रहो, जाओ!" अभिनव अपने घर की ओर लौट चला। परी उसे जाते हुए देख रही थी। थोड़ी देर बाद वह भी आकाश मार्ग की ओर उड़ गयी।
#संस्कार_सन्देश -
हमें जंगली जानवरों से हमेशा सतर्क रहना चाहिए। कभी भी जंगल में अकेले नहीं जाना चाहिए।
कहानीकार-
#जुगल_किशोर_त्रिपाठी
प्रा० वि० बम्हौरी (कम्पोजिट)
मऊरानीपुर, झाँसी (उ०प्र०)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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