23/2025, बाल कहानी - 13 जनवरी
बाल कहानी - सही उम्र
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रमईपुर गाँव में एक साहू परिवार रहता था। परिवार में एक छोटी बच्ची नेहा थी। नेहा बहुत ही होशियार थी। वह घर के काम भी बहुत लगन से करती थी। अचानक एक दिन बहुत तेज बारिश हुई और नेहा का घर जो कच्ची मिट्टी से बना था, उसमें बहुत सारा पानी भर गया। सभी घर के लोग बहुत परेशान थे क्योंकि पानी सिर्फ उनके घर में ही नहीं बल्कि पूरे गाँव में भर गया था। सरकारी आदेशानुसार सभी ने गाँव के सरकारी विद्यालय में शरण ली। उस गाँव के कुछ लोग अनपढ़ थे। स्कूल को देखकर उन्हें बहुत खुशी हुई। वह सब लोग जितने दिन विद्यालय में रहे तो उनके पास कोई काम भी नहीं था।
अचानक नेहा को एक युक्ति सूझी, सोचा कि क्यों न समय का सदुपयोग किया जाए। उसने गाँव के सभी लोगों को पढ़ाने का काम शुरू किया। बड़े लोग कहने लगे, "बेटा! अब हमारी उम्र पढ़ने की नहीं है।" नेहा ने कहा, "दादा जी! किसी भी काम को करने की कोई उम्र नहीं होती है। हम जब चाहें, अपना काम कर सकते हैं।"
बस, क्या था! कक्षा लगनी प्रारम्भ हो गयीं। धीरे-धीरे कुछ लोग थोड़ा पढ़ना सीख गए, परन्तु एक अंकल पढ़ना सीख ही नहीं पा रहे थे तो नेहा ने बहुत प्रयास के बाद उन्हें पढ़ना सिखाया। कुछ दिन के बाद गाँव में पानी सूख गया और सब लोग अपने-अपने अपने घर चले गये।
एक दिन नेहा मेला देखने गयी। वहाँ उसने देखा कि जो अंकल बड़ी कठिनाई से पढ़ना सीख पाये थे, वह कुछ सामान की दुकान लगाये हुए हैं और उनकी दुकान में बहुत भीड़ लगी है। बस! नेहा ने उनसे पूछा, "आप क्या कर कर रहे हैं?" उन अंकल ने बताया, "बेटा! जो तुमने पढ़ना-लिखना सिखाया था, उसी की बदौलत मैंने ये शब्द बनाने सीखें हैं। आज मेरी इतनी सारी बिक्री भी हो रही है कि अब मुझे किसी चीज के लिए किसी के भी आगे हाथ नहीं फैलाने पड़ेंगे। तुमने सच कहा था, किसी भी काम की शुरुआत करने की कोई उम्र नहीं होती है।" यह सुनकर नेहा बहुत खुश हुई।
#संस्कार_सन्देश -
व्यक्ति जीवन भर सीखता रहता है तो भी सीखना पूरा नहीं होता, लेकिन थोड़ा सा भी पढ़ना कई मौकों पर काम आता है।
कहानीकार-
#अंजनी_अग्रवाल (स०अ०)
सरसौल, कानपुर नगर
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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