18/2025, बाल कहानी - 06 फरवरी

बाल कहानी- सुखिया की  गाय
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सुखिया नामक आदमी के पास एक गाय थी। सुखिया की गाय काफी दूध देती थी। सुखिया उसके चारे की भरपूर व्यवस्था कर देता था, जिससे कि गाय में दूध प्रचुर मात्रा में निर्मित होता था। एक दिन सुखिया की पत्नी ने कहा, "ऐसे तो हम इस गाय को चारा खरीदकर खिला नहीं पायेंगे! बड़ा महँगा आता है... क्यों ना हम दूध निकालकर गाय को खुला छोड़ दें, जिससे कि यह चारों तरफ घूम-घूम कर अपना पेट भर सके और हमारा पैसा बच जाये।"
सुखिया ने कहा, "यह बात तुमने बहुत बढ़िया कही है।" 
अगले दिन ही सुखिया ने अपनी गाय को दुहकर खुला छोड़ दिया। शाम को गाय घर आ जाती थी। ऐसा रोज होता था। 
एक दिन शाम हो गयी। रात हो गयी, पर गाय नहीं आयी। सुखिया और उसकी पत्नी गाय को ढूँढने निकल पड़े। चारों तरफ पूँछते-पूँछते वह एक धर्मशाला के पास पहुँचे। वहाँ पर एक व्यक्ति से उन्होंने पूछा, "क्या यहाँ पर एक गाय मिली है?" उस व्यक्ति ने कहा, "हाँ! यहाँ पर एक गाय आयी थी, क्योंकि यहाँ पर हम दान-धर्म करते हैं और आवारा जानवरों को चारा खिलाते हैं।" एक गाय रोज मेरे पास आती है और यहाँ खाना खाती है। अब वह इतनी खुश है कि वह यहाँ से जाना नहीं चाहती है और आज रात यहीं रुक गयी।
सुखिया बोला, "वह मेरी गाय है! वह कहाँ पर है, मैं उसे ले जाऊँगा!" उस व्यक्ति ने कहा, "अब वह गाय तुम्हें नहीं मिलेगी, जब तुम उसे पेट भर कर खाना नहीं खिला सकते हो, तो गाय को तुम्हारे पास रहने का कोई अधिकार नहीं है, तुम वापस जा सकते हो।" सुखिया ने उस आदमी के बहुत हाथ पैर जोड़े, लेकिन वह आदमी नहीं माना। सुखिया और उसकी पत्नी खाली हाथ घर चले गये। रास्ते में वे सोच रहे थे कि, "काश! उसने गाय को अपने पास रखकर भोजन खिलाया होता और लालच नहीं किया होता, तो आज गाय उसके पास होती।" दोनों पति-पत्नी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने सोचा कि, "वह गौशाला से दूसरी गाय लेंगे और सदैव उसकी सेवा करेंगे, सिर्फ दूध के लालच के लिए नहीं पालेंगे।" ऐसा विचार कर दोनों पति-पत्नी पश्चाताप कर सो गये।

संस्कार सन्देश -
हमें स्वयं पर भरोसा करके जानवरों को पालना चाहिए। किसी और के भरोसे नहीं छोड़ना चाहिए। 

कहानीकार-
#शालिनी (स०अ०)
प्राथमिक विद्यालय- रजवाना 
विकासखण्ड- सुल्तानगंज 
जनपद- मैनपुरी (उ०प्र०)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद 
#दैनिक_नैतिक_प्रभात

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