20/2025, बाल कहानी - 08 फरवरी
बाल कहानी- किस्मत का खेल
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मोहन के चार बच्चे रामू, श्याम, रीता और गीता थे। मोहन एक गरीब किसान था। एक दिन एक फेरीवाला आम बेचने आया। उसने एक किलो आम खरीदे और अपने बच्चों को खाने को दे दिए। बच्चे बहुत खुश हुए और तुरन्त आम खाने लगे। उन्होंने आम की गुठली को अपने आँगन में मिट्टी में गाढ़ दिया। कुछ दिन बाद वह देखने गये तो आम के छोटे-छोटे पौधे उग आये थे। चारों बच्चों ने उनकी रखवाली शुरू कर दी। स्कूल आने के बाद वह उनको निहारते और उनकी सेवा करते। देखते ही वह पेड़ बड़े होने लगे।
एक दिन उन्होंने अपने पिताजी से कहा, "क्यों न पिताजी इन पौधों को हम अपने खेत में लगा दें तो बहुत सारे आम हो जायेंगे।" पिताजी को बच्चों की बात पसन्द आयी। सारे पौधों को अपने खेत में लगा दिया गया। वह उनकी रखवाली और देखभाल करने लगा। साथ ही आधे खेत में गेहूँ आदि की खेती करने लगा। बच्चे स्कूल की पढ़ाई करने के बाद वहीं पर खेलते थे। कुछ बरसों के बाद आम का बाग तैयार हो गया। बच्चे भी बड़े हो गये। मोहन ने जब आमों को देखा तो उसको बहुत खुशी हुई। वह उनको तोड़कर मण्डी में गया तो बहुत अच्छे दाम भी मिल गये। यह देखकर उसके पड़ोसियों को जलन हो गयी। उन्होंने मोहन के बड़े भाई को खिलाफ कर दिया और कहा कि, "इस खेत में तुम्हारा भी हिस्सा है। बँटवारे के लिए बात बहुत ज्यादा बढ़ गयी, तब मोहन के पिताजी ने बँटवारा करने के लिए 'हाँ' कह दिया। तब भाई ने कहा कि, "मुझे आम का बाग बाला हिस्सा चाहिए।" मोहन ने कहा कि, "यह हिस्सा मैं नहीं दूँगा क्योंकि यह मेरे बच्चों की मेहनत का फल है, लेकिन भाई नहीं माना। उसने आम का बाग वाला हिस्सा दे दिया। अब मोहन और उसके चारों बच्चे बहुत परेशान हुए और अपने घर में रहने लगे।
एक दिन बच्चों ने कहा, "पिताजी! कोई बात नहीं है, हम पढ़-लिखकर खूब पैसा कमायेंगे।" पिताजी जी को शर्मिन्दा न होना पड़े, मोहन ने और ज्यादा मेहनत करने की सोची। उसने खेत में नींबू का बाग लगाने की सोची। पिताजी तैयार हो गए। शहर जाकर नींबू के बीज लाकर बो दिये और रखवाली करने के लिए एक छप्पर भी वहीं पर डाल दिया। कुछ बरसों में नींबू के पेड़ तैयार हो गए। उन पर खूब सारे नींबू आने लगे। मोहन के बच्चे बहुत खुश हुए। वह अपनी पढ़ाई को भी आगे बढ़ाते जा रहे थे। मोहन नींबू तोड़कर मण्डी ले जाता और बेजता। वह फिर से धनवान हो गए।
इधर ताऊजी के बैग में आँधी-तूफान की वजह से घटा होता गया और रखवाली न कर पाने की वजह से आम भी बहुत कम आने लगे।
एक दिन मोहन नींबू बोरी में भर रहा था, तब ताऊजी ने कहा कि, "भाई! मुझे माफ कर दें। मैंने तेरे साथ बहुत अन्याय किया है। मुझे तेरा हिस्सा नहीं लेना था। मुझे समझ में आ गया कि यह सारा किस्मत का खेल होता है। जिसकी किस्मत अच्छी होती है, वह किसी भी सूरत में चमकता है। मुझे तुझसे जलन भावना हो गई थी। इसका कारण हमारे पड़ोसी हैं। मैं उनकी बातों में आकर अपने भाई की किस्मत से खेल गया। मुझे बहुत शर्मिन्दगी महसूस हो रही है।" मोहन ने कहा कि, "आप हमारे बड़े भाई हैं। जिसके बच्चे समझदार हो तो मेहनत का फल मीठा होता है। मेरे बच्चों ने मुझे बहुत साहस दिया है। वह ऊँची पढ़ाई कर आगे बढ़ रहे हैं।" तब ताऊ जी ने कहा कि, "काश! मेरे बच्चे भी मेरा साथ देते तो आज मेरी भी किस्मत चमक जाती!" तब मोहन ने कहा कि, "भाई आप हमारे बड़े हैं। कोई बात नहीं, हम मिलकर अपना व्यापार चमकायेंगे।" ताऊजी ने मोहन को गले लगा लिया और फिर पहले की तरह सभी मिलकर रहने लगे। ऐसा देखकर पड़ोसियों को भी शर्मिन्दगी महसूस हुई। उन्होंने मोहन से माफी माँगी। तब मोहन ने कहा, "जो भी है, सब किस्मत का खेल है। मेहनत करके ही किस्मत चमकती हैं।" सभी ने मोहन की और उसके बच्चों की तारीफ की और कहा, "आज के बाद हम सभी अपनी मेहनत के बल पर ही कार्य करेंगे और सदा मिल-जुलकर रहेंगे।"
#संस्कार_सन्देश-
हमें किसी से जलन भावना नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि किस्मत का फल मेहनत करके ही मिलता है।
कहानीकार-
#पुष्पा_शर्मा (शि०मि०)
राजीपुर, अकराबाद,
अलीगढ़ (उ०प्र०)
कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)
✏️संकलन
📝टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद
#दैनिक_नैतिक_प्रभात
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