17/2025, बाल कहानी- 05 फरवरी


बाल कहानी- पिंटू की शरारत
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"कल्लू! कहाँ जा रहे हो तुम आज? तुम्हारी सर जी से शिकायत करूँगा। एक तो तुम इतने काले, उस पर तुम मेरे साथ खेलने से मना कर रहे हो, आखिर किस बात पर इतरा रहे हो कल्लू ? लगता है, हार के डर से घबरा रहे हो!"
"शिकायत! किस बात की शिकायत? मैंने कौन सी गलती की है? मैं तो चुपचाप बैठा हूँ। मेरा खेलने का मन नहीं है, तो मैं क्यों तुम्हारे साथ खेलूँ? बताओ जरा!"
"कल्लू! मैं यहाँ खेलने जा रहा हूँ। तुम यहाँ से हटो! जाकर क्लास में बैठो, वरना और काले हो जाओगे।" इतना कहकर पिंटू हँसने लगा।
"मेरा नाम कल्लू नहीं है। मेरा नाम चिंटू है।" इतना कहकर चिंटू रोने लगा और चुपचाप क्लास में जाकर बैठ गया। 
कुछ देर बाद स्कूल में छुट्टी हो गयी। चिंटू उदास मन से घर आया। घर में चुपचाप रहा। 
अगले दिन स्कूल के समय चिंटू ने माँ से कहा-, "माँ! मैं काला क्यों हूँ? कुछ लोग स्कूल में कल्लू कहकर चिढ़ाते हैं। मैं स्कूल नहीं जाऊँगा।" इतना कहकर चिंटू रोने लगा। माँ ने चिंटू को समझाया-, "बहादुर बच्चे रोते नहीं है। चिंटू बेटा! क्या शिक्षक को तुमने कुछ नहीं बताया?"
"नहीं बताया माँ!" चिंटू ने उदास मन से उत्तर दिया।
"चिंटू बेटा! आज जाकर सारी बात अपने शिक्षक को बता देना। शिक्षक शरारती बच्चों को समझा देंगे। किसी के कुछ कह देने से स्कूल जाना छोड़ देना ये अच्छी बात नहीं है। मुझे यकीन है, शिक्षक तुम्हारी बात जरूर सुनेंगे और समस्या हल हो जायेगी। गोरा या काला होना प्रतिभा नहीं है, अच्छा होना सबसे बड़ी प्रतिभा है। जो तुम हो मेरे प्यारे बेटे! अगर समस्या का हल नहीं निकला तो कल मैं खुद तुम्हारे साथ चलकर शिक्षक से बात करूँगी।"
चिंटू माँ की बात समझ गया। स्कूल पहुँचकर चिंटू ने सारी बात शिक्षक को बतायी। शिक्षक ने पिंटू को डाँटा और प्यार से खूब समझाया। पिंटू को अपनी गलती का एहसास हुआ। पिंटू ने हाथ जोड़कर माफी माँगी और चिंटू से हाथ मिलाकर दोस्ती कर ली। चिंटू ने खुशी-खुशी पढ़ाई की। छुट्टी होते ही घर जाकर माँ के गले लगकर बोला-, "माँ! सब ठीक हो गया। सच में मैं आपका प्यारा बेटा हूँ।" चिंटू की माँ बहुत खुश हुई। 

#संस्कार_सन्देश - 
हमें किसी को दुःख नहीं देना चाहिए। सबको ईश्वर ने बनाया है। ईश्वर की बनाई हुई हर चीज सुन्दर है।

कहानीकार-
#शमा_परवीन (अनुदेशक)
(बहराइच उत्तर प्रदेश)

कहानी वाचन-
#नीलम_भदौरिया
जनपद-फतेहपुर (उ०प्र०)

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