50/2024, बाल कहानी- 21 मार्च


बाल कहानी- गहरी मित्रता
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कोयल और गौरैया में बहुत अच्छी दोस्ती थी। जहाँ भी जाते, दोनों एक साथ जाते थे और हर काम में एक-दूसरे की मदद करते थे। एक दिन गौरैया को कोयल दिखाई नहीं दी। गौरैया दौड़कर कोयल के घर गयी। गौरैया ने कहा-, "क्या बात है, आज तुम दिखाई नहीं दी?" कोयल बोली-, "मैं कल किसी काम से कहीं जा रही थी, तभी रास्ते में मेरा पैर फिसल गया और पैर में चोट लग गयी।" गौरैया बोली-, "चलो, मैं तुम्हें डाक्टर के पास ले जाती हूँ।" नहीं-नहीं.. यहीं पर रामू के दादा दवाई देते हैं। उन्होंने मेरे पैर पर लैप लगाया है और आराम करने को कहा है।" कोयल ने बताया।
   गौरैया ने कोयल से कहा-, "तुम आराम करना। तुम्हारे सारे काम मैं कर दूँगी।" अगले दिन से गौरैया रोज कोयल के घर आती थी। उसके लिए खाना भी लाती थी। गौरैया ने कोयल के घर की साफ-सफाई की। उसकी बहुत सेवा की। गौरिया कोयल का बहुत ध्यान रख रही थी। कोयल बहुत खुश हुई और बोली-, "मैं कितनी भाग्य शाली हूँ, जो मुझे तुम जैसी दोस्त मिली।" कोयल बोली-, "मै तुम्हारा यह एहसान कभी नहीं भूलूँगी। तुम मेरा इतना ख्याल रख रही हो।" गौरिया ने कहा-, "मैं तुम्हारी दोस्त हूँ। मैं तुम्हारी मदद नहीं करूँगी तो और कौन करेगा?" ऐसा सुनकर कोयल खुश हो गयी। उन दोनों की दोस्ती और भी गहरी हो गयी।
"कह रहीम संपत्ति सगै, बनत बहुत बहु रीत।
बिपत्ति कसौटी जे कसै, तेई साँचे मीत"।।

संस्कार सन्देश- 
जो मुसीबत में काम आये वही सच्चा मित्र कहलाता है |

लेखिका
दमयन्ती राणा (स०अ०) 
रा० उ० प्रा० लिए ईड़ाबधाणी
कर्णप्रयाग चमोली (उत्तराखण्ड)
कहानी वाचक-
नीलम भदौरिया 
फतेहपुर 

✏️ संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात


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