48/2024, बाल कहानी- 19। मार्च


बाल कहानी- खिलौने
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एक किसान के दो पुत्र थे। राज और करन। एक दिन किसान अपनी पत्नी के साथ दूसरे गाँव में किसी काम से गया। जाते समय किसान ने अपने दोनों बच्चों पर घर की देखभाल की जिम्मेदारी छोड़ दी, ये कहकर कि आज रविवार है। तुम दोनों को स्कूल तो जाना नहीं है। आज घर पर ही रहना। हम शाम को वापस आ जाएँगे। किसान के जाने के बाद दोनों भाई आपस में लड़ने लगे। राज ने कहा-, "तुम घर पर रुको! मैं बाहर खेल कर आता हूँ।"
करन ने जवाब देते हुए कहा-, "मैं तुमसे बड़ा हूँ, मैं बाहर जा रहा हूँ खेलने। तुम घर पर रहकर घर की देखभाल करो।" इतना कहकर करन घर से बाहर चला गया।
राज दुःखी हो गया। उसने करन का बहुत इन्तजार किया, पर शाम हो गयी और करन नहीं आया। राज रोने लगा। इतने में राज के माता-पिता घर वापस आ गये। राज को रोता देख उसे गले से लगा लिया। राज को मिठाई और बहुत से खिलौने दिये।
खेलकर करन जब घर वापस आया तो उसे बहुत डाँट पड़ी।
करन को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने अपने माता-पिता और छोटे भाई से क्षमा माँगते हुए बोला-, "मुझे क्षमा कर दीजिए। अब आगे से मैं कभी ऐसी गलती करूँगा।"
करन के पश्चाताप को देख कर किसान ने अपने दोनों बच्चों को गले से लगा कर प्यार किया।

संस्कार सन्देश- 
हमें अपने माता-पिता की आज्ञा का सदैव पालन करना चाहिए।

लेखिका-
शमा परवीन (अनुदेशक)
बहराइच (उत्तर प्रदेश)
कहानी वाचक
नीलम भदौरिया
फतेहपुर


✏️संकलन
📝 टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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