होली
फागुन मास ने ली अंगडाई
देखो-देखो फिर से होली आई
चिप्स पापड़ छत पर सूखें
बच्चे होली खेलन को तरसे
अम्मा सेंकें गुझा और गुझिया
रंग मलेंगे सखी और सखियाँ
उड़ने दो रग और गुलाल
छोड़ो बीती बातों का मलाल
धो कर सारे दिल के मैल
दिल खोल कर होली खेल
होली की हार्दिक शुभकामनाएं
रचयिता
मनीषा सिंह,
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट विद्यालय सुरेहरा,
विकास खण्ड-एत्मादपुर,
जनपद-आगरा।
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