होली

आया रंगों का त्योहार,

लाया खुशियों की बहार, 

चल रही फाल्गुन बयार, 

नशे में है रंगों का खुमार।


लाल, पीला, हरा, नीला, 

सबने धूम मचाई, 

जैसे सज रही दुल्हन, 

बज रही शहनाई


उड़ रहा गुलाल, 

बज रहे ढोल, 

बॅंट रही भांग, 

और बँट रही मिठाई।


लाल में है तेज सूर्य सा, 

तभी तो है कुमकुम लाल, 

माथे सोहे  बनकर तिलक, 

दम के जैसे उगता सूरज लाल।


हो शुभारम्भ पीले से, 

हर नव काज, 

ऐसा गुण वाला पीत रंग, 

करे पूरन सब काज।


हरे रंग में ही है जीवन, 

जो है साँसों का द्वार, 

तभी तो है, 

तिरंगे की शान।


नीली धरती, नीला अंबर, 

नीले में है ऊर्जा अपार, 

नीला है समय चक्र , 

नीला है सबकी शान।


रंगों की होली, 

सबकी होली, 

खुशियों की होली, 

बनाये जीवन की रंगोली।।


रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।

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