ऐसे हम होली मनाएँ
आओ पर्यावरण शुद्ध कर लें,
स्थान-स्थान यज्ञ कर लें।
मंत्रों की ध्वनियों से तरंगित कर,
मिल-जुल हम हवन कर लें।।
राग-द्वेष का नामोंनिशां न हो,
रंग प्रेम से पुलकित ये मन हो।
नकारात्मकता को हो निर्जन वन,
सकारात्मकता से हर घर चमन हो।।
वीर शहीदों को भी याद कर लें,
उस रंग का भी हम मनन कर लें।
यादों को उनकी गले लगाकर,
हम सब उनको नमन कर लें।।
आओ अरोमा थेरेपी ले लें,
पुष्पों के रंगों से दामन भर लें।
तन- मन महक-महक जाए रे,
पीड़ाओं को ये होली हर ले।।
असुरों को सुरों से सजाकर,
सुरमय ये संसार बना कर।
सुर रंगों को छितरा दें
एकत्व भाव हम बनाकर।।
रचयिता
प्रतिभा भारद्वाज,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यामिक विद्यालय वीरपुर छबीलगढ़ी,
विकास खण्ड-जवां,
जनपद-अलीगढ़।
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