देती यह संदेश है होली
रंगों का त्योहार है होली
एक-दूजे की बन हमजोली।
निकल पड़ी बच्चों की टोली
करती जाती हँसी ठिठोली।।
पिचकारी में भरा रंग है
रंग रंगीला हुआ अंग है,
बना मुखौटे तरह-तरह के
एक दूजे को किया तंग है,
उसको पकड़ो रंग लगाओ
लगा रहे मिलकर सब बोली।
गुजिया पापड़ खाते-जाते
मिलकर धूम मचाते जाते,
गली मोहल्ले घर द्वारों पर
सबको रंग लगाते जाते,
रंग बिरंगा यह त्योहार
भर देता खुशियों से झोली।
खेतों में लहलहाती खेती
गेहूँ, चना, मटर और आलू,
सब पककर तैयार हो गईं
अब हो गई उगाई चालू,
नए अन्न से पूजा करने
हर घर बनती है घर होली।
होली है त्योहार प्रेम का
एक दूजे को गले लगाएँ,
चाचा ताऊ दादी ताई
होली मिलकर साथ मनाएँ
रिश्तो को रंगीन बनाएँ
देती शुभ संदेश ये होली।
रचयिता
यशोधरा यादव 'यशो'
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट विद्यालय सुरहरा,
विकास खण्ड-एत्मादपुर,
जनपद-आगरा।
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