गीतांजलि 28.01.2024

*#गीतांजलि _सृजन*

टीम #मिशन_शिक्षण_संवाद की ओर से गीतों का नया संग्रह

*🔴गीतांजलि सृजन4️⃣0️⃣5️⃣🔴*

*🔴 रविवार, दिनांक- 28.01.2024🔴*

*तर्ज- लोकगीत*

 *गीत- हिलाय देत बा भइया सबके ई ठण्डी* 

हिलाय देत बा भइया सबके ई ठण्डी,
गउआँ, देहतिया या हो बजार, मण्डी।
हिलाय देत बा.......................

बड़ा कड़ाका जाड़ा पड़त हौ,
हथवा औ गोड़वा दूनो गलत हौ।
पहिरे रहा केतनो बूट, स्वेटर, गंजी,
हिलाय देत बा.....................

जाड़ा से बचऽ के ना सबके ठेकान बा,
कउड़ा ही सबकर बचवले ही जान बा।
एक साथ बइठी के ले अलाव जर्दी,
हिलाय देत बा......................

जाड़ा में चले ना केहू के अभिमान हो।
गलन कऽ रुख कइले सबके परेशान हो।
हर काम रुकल नाहीं होत बाटे जल्दी,
हिलाय देत बा.......................

*रचना🙏*
अरविन्द कुमार सिंह (स०अ०)
प्रा० वि० धवकलगंज 
बड़ागाँव, वाराणसी

✏️संकलन
*📝टीम गीतांजलि मिशन शिक्षण संवाद*

Comments

Total Pageviews