राम तुम्हारा जीवन
आदर्शों के शिलालेख पर
पुरुषोत्तम बन नाम लिखाया।
राम तुम्हारा जीवन सारा
संघर्षों का था हमसाया।।
दशरथ आँगन की फुलवारी,
गूँजी अवधपुरी किलकारी
वात्सल्य में डूब कौशल्या,
बोली रूप तजो अवतारी
तभी चतुर्भुज रूप छोड़कर,
नन्हें शिशु सा रुदन मचाया।
राम तुम्हारा जीवन सारा
संघर्षों का था हमसाया।।
गुरु वशिष्ठ से शिक्षा लेकर,
अवधपुरी में जब पग धारा
विश्वामित्र महायोगी ने,
माँग लिया प्रभु साथ तुम्हारा
मार ताड़का कष्ट हरे सब,
गुरु का यज्ञ पूर्ण करवाया।
राम तुम्हारा जीवन सारा
संघर्षों का था हमसाया।।
जनकपुरी के धनुष यज्ञ में,
देश-देश के भूप जुड़े थे
बड़े-बड़े नामी योद्धा भी,
शिव कोदंड पै आन भिड़े थे
उठा सभा में धनुष आपने,
जनक सुता से ब्याह रचाया।
राम तुम्हारे जीवन पथ पर
संघर्षों का था हमसाया।।
राजतिलक की थी तैयारी,
पर वनवास मिला था तुमको
कैकई माँ को दिए वचन ने,
व्याकुल बहुत किया था पिता को
चौदह वर्ष बने वनवासी,
पितु आज्ञा को सहज निभाया।
राम तुम्हारा जीवन सारा
संघर्षों का था हमसाया।।
हुआ अरण्य हरण सीता का,
वन- वन खोज करे तुम हारे
ईश्वर होकर मानव लीला,
कर संतों के काज सँवारे
मार दशानन वैदेही संग,
तुमने पति का धर्म निभाया।
राम तुम्हारे जीवन पथ पर
संघर्षों का था हमसाया।।
लौट अवधपुर राज्य सँभाला,
रामराज्य सब प्रजा सुखारी
बन मर्यादा पुरुषोत्तम तुम,
नित्य प्रजा हित थे बलिहारी
'यशो' लेखनी भाव शब्द संग,
कमलनयन को शीश नवाया।
आदर्शों के शिलालेख पर
पुरुषोत्तम बन नाम लिखाया।
राम तुम्हारे जीवन पथ पर
संघर्षों का था हमसाया।।
रचयिता
यशोधरा यादव 'यशो'
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट विद्यालय सुरहरा,
विकास खण्ड-एत्मादपुर,
जनपद-आगरा।
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