11/2024, बाल कहानी - 31 जनवरी


बाल कहानी- पेड़-पौधे

एक बार दीपक नाम का लड़का किसी जंगल में गायों को चराने के लिए गाँव के अन्य लोगों के साथ गया। उस समय उसके माता-पिता कहीं बाहर गये थे। घर पर बूढ़े दादा-दादी ही थे, इसलिए गायों को चराना जरुरी था।
जंगल में बहुत से पेड़-पौधों और पक्षियों को देखकर उसे बहुत ही अच्छा लगा। जंगल में चारों ओर हरियाली थी। जंगल की अपूर्व शोभा को देखकर वह बहुत ही प्रसन्न हुआ। जंगल में एक ओर साफ पानी की नदी थी, जिसका जल बहुत ही स्वादिष्ट और पीनेलायक था। सभी लोग अपनी-अपनी गायों को उस नदी में पानी पिलाने के लिए ले जाते। दीपक भी अपनी गायों को लेकर उस नदी पर गया और नदी को शोभा को देखकर वह बहुत खुश हुआ। उसने नदी में पानी पिया और स्नान किया तथा दिनभर की थकान मिटायी। शाम को सभी के साथ वह गायों को लेकर घर लौट आया।
रात्रि में उसके माता-पिता घर वापस लौट आये। दीपक ने पिताजी से कहा कि-, "पिताजी! आज जंगल में बहुत मजा आया। अब मैं रोज गायों को चराने जाऊँगा। जंगल में बहुत से पक्षियों को मैंने देखा, साथ ही वहाँ के पेड़-पौधों को देखकर मन्त्र मुग्ध हो गया। ऐसी सुन्दरता मैंने कभी नहीं देखी।" उसके पिताजी ने कहा कि-, "अभी तुम्हारे पढ़ने के दिन हैं। अगर तुम गायें चराओगे तो फिर मैं क्या करुँगा और पढ़ाई कौन करेगा? हाँ! हमारे यहाँ के जंगलों में सभी सभी औषधीय वृक्ष पाये जाते हैं। इनसे सभी बीमारियों को दूर किया जा सकता है।"
दीपक बोला-, "पिताजी! जब वृक्षों में इतने गुण हैं तो लोग क्यों मेडीकल की दवाइयाँ लेते हैं और डाॅक्टरों को क्यों दिखाते हैं। इन्हीं वृक्षों से अपनी बीमारियों को ठीक क्यों नहीं करते हैं?"
उन दोनों की बातें सुन रही उसकी माँ ने कहा कि-, "अब धीरे-धीरे आयुर्वेद वापस आ रहा है। अंग्रेजी दवाइयों को अधिक समय तक खाने से ये अब लाभदायक नहीं रही हैं। लोगों को इनसे तुरन्त तो जरूर आराम मिल जाता है, लेकिन रोग जड़ से खत्म नहीं होता है और समय आने पर बार-बार अपना प्रभाव दिखाता है, जबकि औषधियों से बीमारी जड़ से खत्म हो जाती है और फिर लौटकर नहीं आती है। हाँ! इनसे बीमारी जड़ से खत्म करने में समय जरुर लगता है।"
दीपक के पिताजी ने दीपक की माँ की बात का समर्थन किया और बोले-, "हाँ बेटे! तुम्हारी माँ ठीक कह रही है। अब लोग घरेलू बीमारियों का घर पर ही इलाज करने लगे हैं। जैसे जुकाम, शारीरिक थकान, फोड़े-फुन्सी, कब्ज, सूजन, मोच, दर्द आदि अनेक बीमारियों का घर पर ही इलाज सम्भव है। मैं घर पर ही इन बीमारियों का इलाज करता हूँ और जरुरत पड़ने पर वैद्य के पास जाता हूँ। डाॅक्टरों के चक्कर में नहीं पड़ता हूँ। हाँ! ऐलोपैथिक इलाज भी बुरा नहीं है। किन्हीं-किन्हीं बीमारियों, भीषण दुर्घटना और आॅपरेशन में हमें इन्हीं का सहारा लेना पड़ता है, क्योंकि तब हमारे पास इतना समय नहीं होता है कि हम इन्तजार कर सकें।"
"पिताजी! आज आप दोनों ने हमें बहुत ही बढ़िया, उपयोगी, ज्ञानवर्धक जानकारी दी है। पेड़-पौधे जलाऊ लकड़ी, फल-फूल, सब्जी, इमारती लकड़ी के अलावा दवाइयाँ भी हमें देते हैं। इसे मैं सभी बच्चों को स्कूल में बताऊँगा और मैं इस विषय पर एक निबन्ध भी लिखूँगा।" दीपक कहकर बहुत खुश हुआ और पढ़ने बैठ गया। 

संस्कार सन्देश-
हमें पेड़-पौधों का महत्व समझना चाहिए और सभी को बताकर इनकी सुरक्षा करनी चाहिए।

✍️🧑‍🏫लेखक-
जुगल किशोर त्रिपाठी
प्रा० वि० बम्हौरी, मऊरानीपुर
झाँसी (उ०प्र०)

✏️ संकलन
📝 टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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