07/2024, बाल कहानी - 24 जनवरी
बाल कहानी- चीकू
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रोहन को एक दिन खेलते वक्त एक प्यारा सा खरगोश मिला। खरगोश को देखकर रोहन बहुत खुश हुआ। कुछ देर बाद रोहन और खरगोश एक दूसरे के साथ खेलने लगे। कभी रोहन खरगोश के पीछे भागता, कभी खरगोश रोहन के पास आता। रोहन ने खरगोश को गोद में उठा लिया और प्यार से सिर सहलाते हुए कहा-, "आज से तुम मेरे दोस्त हो। अब मैं तुम्हें चीकू कह कर बुलाऊँगा।"
कुछ देर बाद रोहन ने चीकू को गोद से उतारते हुए कहा-, "अब शाम होने वाली है। मैं अपने घर जा रहा हूँ, तुम अपने घर जाओ!"
इतना कह कर रोहन अपने घर की ओर चल दिया। कुछ ही देर में चीकू दौड़कर रोहन के आगे पीछे चलने लगा।
रोहन को चीकू पर तरस आया। वह उसे अपने साथ घर ले आया।
घर आते ही माँ ने पूछा-, "इसे कहाँ से ले आये?"
रोहन ने जवाब देते हुए कहा-, "माँ! ये चीकू है। मेरा मतलब खरगोश है। इससे मेरी दोस्ती हो गयी है, इसलिए मैंने इसका नाम चीकू रख दिया है। मैंने इससे कहा था कि तुम अपने घर जाओ! मैं अपने घर जाता हूँ, पर ये मेरे पीछे-पीछे चला आया।"
"ठीक है, कोई बात नहीं, ले आओ इसे! पर चीकू का ध्यान रखना, यह बहुत छोटा है, कहीं इधर-उधर चला न जाये" माँ ने कहा।
माँ ने रोहन और चीकू को दुलार किया। भोजन खिलाया और फिर दूसरे काम में व्यस्त हो गयी।
कुछ देर में रोहन अपना होमवर्क करने लगा। चीकू कब बाहर निकल गया, किसी को कुछ खबर नहीं हुई।
रात हो जाने के कारण रोहन कहीं दूर नहीं जा सका। सुबह होते ही रोहन ने चीकू को ढूँढने का बहुत प्रयास किया, पर चीकू का कहीं कुछ पता नहीं चल पाया। रोहन चीकू को याद कर बहुत उदास रहने लगा।
माँ ने रोहन को समझाया, "चीकू बहुत छोटा था, उसको समझ नहीं थी इसलिए वह तुम्हारे साथ चला आया था। हो सकता है कि उसे जब घर की याद आयी होगी तो वह फिर अपने घर चला गया होगा, जिस तरह तुम खेलने जाते हो तो चले आते हो। इस तरह वह भी खेलकूद करके चला गया होगा। चीकू की असली खुशी उसके परिवार के साथ ही है। दोस्ती का मतलब साथ रहना नहीं, दोस्ती का मतलब दूर रहकर दोस्त के लिए प्रार्थना करना है कि वह हमेशा खुश रहे। तुम तो मेरे समझदार बच्चे हो, फिर तुम इस बात को क्यों नहीं समझ रहे हो?
क्या तुम अपनी माँ के बिना रह सकते हो दोस्तों के साथ?"
"नहीं माँ! मैं आपके बिना नहीं रह सकता!"
"तब तुम ही बताओ! चीकू कैसे रह लेता?"
रोहन को माँ की बात समझ में आ गयी। रोहन ने आँसू पोंछे और चीकू के लिए प्रार्थना की, "मेरा दोस्त चीकू जहाँ भी रहे, खुश रहे!"
संस्कार सन्देश-
प्रेम स्वार्थी नहीं होना चाहिए। स्वार्थ में आसक्ति होती है। प्रेम हमेशा अपनों के लिए प्रार्थना का नाम है।
✍️👩🏫लेखिका-
शमा परवीन
बहराइच (उत्तर प्रदेश)
✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद (नैतिक प्रभात)
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