05/2024- बाल कहानी, 20 जनवरी 2024

कड़वा सबक
"अरे! क्या बात है, दोनों क्यों लड़ रहे हो?" शिक्षिका मंजुल ने रोहित और अनुज को लड़ते देखकर दोनों को अलग करते हुए पूछा।
"मैडम! अनुज ने मेरा पेन चुराया है।" रोहित ने कहा।
"नहीं मैडम! रोहित झूठ बोल रहा है। यह मेरा ही पेन है।" अनुज ने आँखें तरेरते हुए जबाब दिया। 
कक्षा में चोरी जैसी गम्भीर घटना होते देख मंजुल को मन ही मन बहुत पीड़ा हुई। रोहित विद्यालय का होनहार एवं विनम्र छात्र था। वह अपने सभी शिक्षकों की आँखों का तारा था। अनुज बहुत नटखट स्वभाव का था। मंजुल को आभास था कि अनुज झूठ बोल रहा है, मगर बिना सबूत के वह सिद्ध नहीं कर सकती थी। अतः उन्होंने रोहित को समझा-बुझाकर वह पेन अनुज को दिलवा दिया। 
कक्षा में चोरी की घटना से मंजुल का दिल टूट गया। वे प्रतिदिन प्रार्थना सभा में नैतिक शिक्षा देने वाली लघुकथाएँ सुनाती थीं। विद्यार्थियों को उसका अनुसरण हेतु प्रेरित करती थीं। 
कुछ दिनों बाद अनुज का जन्मदिन आया। अगले दिन भोजनावकाश के समय अनुज रुआँसा होकर मंजुल के पास आया।
"मैडम! किसी ने मेरा कलर बॉक्स चुरा लिया है।"
"क्या...?" मंजुल बहुत ही चिन्तित हुईं। कक्षा में चोरी की दूसरी घटना घटित हो गयी थी। अब उन्हें लगा कि शायद उस दिन अनुज पर उन्हें गलत संदेह हुआ।
"कैसा था कलर बॉक्स?" उन्होंने अनुज से पूछा।
"वह नीले रंग का बड़ा डब्बा था। उसमें स्केच, वैक्स, वाटरकलर, पेंसिल सभी तरह के रंग थे।" 
मंजुल ने बच्चों को कक्षा में जाने का आदेश दिया-, "सभी कक्षा में बैठो। अपना बस्ता चेक करवाओ।" सबने बस्ता चेक करवाया, परन्तु किसी पर कलर बॉक्स नहीं मिला।
"अब पापा मेरी बहुत पिटाई लगायेंगे।" कहकर अनुज जोर-जोर से रोने लगा। सहसा रोते हुए अनुज के कन्धे पर किसी ने हाथ रखा। उसने सर ऊपर करके देखा तो रोहित खड़ा था। रोहित के हाथ में वही खूबसूरत सा कलर बॉक्स था। उसे देखते ही अनुज की आँखें चमक उठीं! उसने तुरन्त रोहित के हाथ से वह कलर बॉक्स छीना और पूछा-, "ये तुम्हें कहाँ मिला?"
"ये मेरे पास था।" रोहित कहकर चुप हो गया। 
"तुमने बॉक्स वापस भी कर दिया तो चोरी क्यों किया था?" अनुज से विस्मय सहित पूछा।
"तुम्हें सबक सिखाने के लिए।" रोहित ने कहा-, "जब उस दिन मेरा प्रिय पेन मेरे पास न रहा तो इसी प्रकार से मुझे भी दुःख हुआ था।" यह सुनकर अमन का मुँह लटक गया । 
"चोरी करना पाप है। मैडम एक दिन बता रही थीं।" अब तक दोनों का वार्तालाप सुन रही दिशा ने कहा। 
रोहित ने अनुज के आँसू पौंछे और अपने कृत्य के लिए माफी भी माँगी। अनुज को अपनी गलती का एहसास हो चुका था उसने रोहित से माफी माँगी-, "रोहित! मुझे माफ़ कर दो। तुम्हारा पेन मैंने ही लिया था"
मंजुल मैडम ने अनुज की पीठ थपथपाकर कहा-, "सुबह का भूला यदि शाम को वापस घर आ जाये तो उसे भूला नहीं कहते।" 
"हमारे पास जो भी संसाधन हों, उसी में हमें खुश रहना चाहिए।" रोहित ने अनुज की तरफ देखा और मुस्कुरा दिया। अनुज ने अगले ही दिन रोहित का पेन वापस करने का वादा किया। इसके बाद दोनों में प्रगाढ़ मित्रता हो गयी।

संस्कार सन्देश-
चोरी करना सबसे घृणित और निन्दनीय कार्य है, अतः हमें चोरी नहीं करना चाहिए।

✍️🧑‍🏫लेखिका-
दीप्ति सक्सेना (प्र० प्र०)
पू० मा० वि० कटसारी, आलमपुर, जाफराबाद
बरेली (उ० प्र०)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद (नैतिक प्रभात)

Comments

Total Pageviews