09/2024, बाल कहानी- 29 जनवरी


बाल कहानी - तालियाँ

इस समय विद्यालय में गणतन्त्र दिवस समारोह के लिए सभी बच्चे और शिक्षक बड़े जोर-शोर से तैयारी में लगे थे। घर जाकर सभी अपने-अपने रोल का रिहर्सल करते थे। कोई बच्चा  राजा, कोई अनपढ़, कोई सिपाही, कोई जोकर, तो कोई वीर देशभक्तों का अभिनय कर रहा था। रोहित को छुपकर उन बच्चों को अभिनय करते देखना बहुत अच्छा लगता था। 
रोहित कक्षा छ: का छात्र था, जो पढ़ाई में ठीक-ठाक ही था, लेकिन न जाने क्यों उसे प्रतिदिन विद्यालय जाना बिल्कुल भी पसन्द नहीं था। वह विद्यालय बहुत कम आता था। जब भी‌ गुरूजी बुलाने जाते, तो वह घर से भाग जाता। रोहित के माता-पिता भी इस बात से परेशान रहते थे। 
             आखिर आज गणतन्त्र दिवस का दिन आ ही गया। सभी के मन में देशभक्ति भावना और उत्साह हिलोरें ले रहा था और विद्यालय में सर्वप्रथम ध्वजारोहण और प्रभातफेरी के बाद सभी बच्चों को बैठाया गया। बहुत सारे गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत कार्यक्रम हुआ। ध्वजारोहण के राष्ट्रगान हुआ, फिर माँ सरस्वती के पूजन के बाद सभी बच्चों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किये। सभी की प्रस्तुति देखकर दर्शक खूब तालियांँ बजा रहे थे। गुरूजी ने भाषण दिया और बताया कि-, "देशभक्ति यही है कि हम सभी अपने कर्तव्य अच्छी तरह निभाएँ। देशप्रेम का सबसे बेहतर तरीका यही है कि हम अपने दायित्वों के प्रति जागरूक और ईमानदार बनें, वही इस तिरंगे और देश का वास्तविक सम्मान होगा। यही देशभक्तों के प्रति हम सबकी सच्ची श्रद्धांँजलि होगी।"
सभी प्रतिभागी बच्चों को ईनाम में बहुत सारी चीज़ें दी गयीं। इसके बाद सभी बच्चों को लड्डू दिये गये। आज रोहित भी विद्यालय आया था। सभी कार्यक्रम देखकर रोहित ताली तो बजा रहा था, लेकिन उसके भी मन में ये इच्छा हो रही थी कि काश! वह भी इस मंच पर कुछ करके दिखाता, तो सभी लोग उसके लिए भी ऐसे ही तालियाँ बजाते। 
सब घर चले गये। रोहित भी आज विद्यालय से सच में स्वप्रेरित होकर लौट रहा था‌। उसने पूरे विश्वास से अपने मन में ठाना था कि अगला गणतन्त्र दिवस आने तक इस मंच पर जाकर स्वयं को साबित करूँगा। इन सभी बच्चों की तरह मेरे लिए भी तालियाँ बजेंगी। 
उस दिन से प्रतिदिन रोहित विद्यालय आता। मन लगाकर पढ़ाई करता। घर पर भी खूब मेहनत करके पढ़ता। उसके बदले हुए रूप को देखकर गुरूजी भी तारीफ करते थे। वार्षिक परीक्षा में पूरी कक्षा में दूसरा स्थान लाया। विद्यालय के वार्षिकोत्सव समारोह में कक्षा के प्रतिभाशाली बच्चों को पुरस्कृत किया गया। रोहित गर्व से मंच पर बाकी बच्चों के साथ खड़ा था और दर्शक उसके लिए भी तालियाँ बजा रहे थे। आज उसने दिखा दिया कि मेहनत करके सब कुछ पाया जा सकता है।

संस्कार सन्देश-
विद्यालय वह स्थान है, जहाँ से आदर्श नागरिक बनने की प्रेरणा मिलती है। अपने कर्तव्यों को पूरा करना ही सच्ची देशभक्ति है।

✍️👩‍🏫लेखिका-
शिखा वर्मा (इं० प्र०अ०)
उ० प्रा० वि० स्योढ़ा
बिसवांँ (सीतापुर)

✏️संकलन
📝टीम मिशन शिक्षण संवाद
नैतिक प्रभात

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