शब्द

शब्द शब्द में जादू अनोखा है
शब्दों का रुप बड़ा अलबेला है
उलझत चले जो भीड़ में अकेला है
बोले जो मिश्री घोल मेला ही मेला है
शब्दों से बनता व्यवहार इससे ही होते यार
शब्दों से होता प्यार शब्दों से ही तकरार
शब्द ही जोड़े रिश्ते शब्द ही तोड़े
शब्द ही अनजानी  राह कोई मोड़े
शब्द ही बनाये महान शब्द ही होते हैवान
शब्द हँसाये शब्द रुलाये शब्द ही गले लगाये
संसार के हर कण में शब्द का जादू समाये

रचयिता
स्वाती सिंह,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय रवांसी,
विकास खण्ड-परसेंडी,
जनपद-सीतापुर।
                                       

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