४०७~ अर्चना सिंह (प्रधानाध्यापक) प्राथमिक विद्यालय चाँदपुर, भिटौरा, फ़तेहपुर।

        🏅अनमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद फतेहपुर से अनमोल रत्न शिक्षिका बहन अर्चना सिंह जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता के साथ विद्यालय में किए गये छोटे-छोटे अभिनव प्रयासों के द्वारा विद्यालय की दशा और दिशा बदलते हुए सामाजिक विश्वास का केन्द्र बना दिया है जो हम सभी के लिए प्रेरक एवं अनुकरणीय है।

आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:
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1. शिक्षक परिचय:-
अर्चना सिंह (प्रधानाध्यापक)
प्राथमिक विद्यालय चाँदपुर
भिटौरा, फ़तेहपुर।
प्रथम नियुक्ति- 06/01/2006
वर्तमान नियुक्ति- 20/04/2010

2.विद्यालय की समस्याएँ:-
👉🏻 शैक्षिक स्तर अत्यन्त न्यून होना।
👉🏻 नामांकन व ठहराव की समस्या।
👉🏻 सामाजिक जागरूकता का अभाव।
👉🏻 लिंग भेद की समस्या।
👉🏻 अराजक तत्वों का जमावड़ा।
👉🏻 ग्रामीण साक्षरता दर निम्न स्तर पर।
👉🏻 संस्कारों का अभाव।
👉🏻 शिक्षा के महत्व को न समझना।

3. विद्यालय की समस्याओं का समाधान:-
(A) स्वयं का प्रयास-
👉🏻 शैक्षिक स्तर बढ़ाने के लिए विभिन्न नवाचारों व गतिविधियों के प्रयोग द्वारा शिक्षण विधि को रोचक व आकर्षक बनाया गया।
👉🏻 नामांकन व ठहराव की समस्या को हल करने के लिए छुट्टी हेतु प्रार्थना-पत्र अनिवार्य, घर-घर सम्पर्क व पुरस्कार एवं सम्मान अभिभावक के हाथों बैठक में करवाकर इस इस समस्या को लगभग हल कर लिया गया। अब उपस्थिति लगभग 80% प्रतिदिन रहती है।
👉🏻 सामाजिक जागरूकता लाकर ही राष्ट्र का गौरव बढ़ाया जा सकता है। अतः समय-समय पर SMC बैठक, सेमिनार, PTM व अन्य आयोजनों पर समाज में जागरूकता लाने का प्रयास किया जाता है।



👉🏻 माताओं को विशेष रूप से आमन्त्रित कर बालिका शिक्षा के महत्व से समय-समय पर परिचित कराना विभिन्न योजनाओं जैसे- सुकन्या समृद्धि योजना, कन्या सुमंगला योजना आदि से अभिभावकों को जोड़ने का प्रयास करना।
👉🏻 जनप्रतिनिधि एवं स्वयं मिलकर अराजक तत्वों की समस्या दूर की गई।
👉🏻 साक्षरता दर बढाने के लिए माता समूह की सदस्यों, रसोइया तथा अन्य अभिभावकों को साक्षर करने के उद्देश्य से उनके समय के आधार पर तथा बच्चों की सहभागिता से उन्हें साक्षर करने का निरन्तर प्रयास किया जा रहा है।
👉🏻 अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविनः।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशोबलम।।
के सिद्धान्त पर संस्कार परक शिक्षा देने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।
👉🏻 व्यक्ति के विकास का आधार शिक्षा ही है। शिक्षा के महत्व को समझाने के लिए रैलियों, गोष्ठियों आदि का समय- समय पर आयोजन।

4. अन्य शिक्षकों का सहयोग:-
अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, विद्यालय की समस्त गतिविधियाँ विद्यालय परिवार के सहयोग से ही संचालित होती हैं। समस्याओं के निराकरण हेतु आमन्त्रित सुझाओं पर अमल कर दूर करने का प्रयास किया जाता है।











5. जनप्रतिनिधि का सहयोग:- स्वच्छता मूलक समस्याओं, शासन से प्राप्त जूता मोज़, बैग, स्वेटर इत्यादि वितरण, MDM का क्रियान्वयन तथा अन्य आयोजनों पर व ग्राम स्तर की समस्याओं के निराकरण हेतु जन- प्रतिनिधि का सहयोग लिया जाता है।

6. शासन का सहयोग:-
बच्चों का सर्वांगीण विकास हो, शासन की इस मंशा को पूरा करने में हमें शासन का पूरा सहयोग मिलता है।
👉🏻 जनसहभागिता- SMC के द्वारा लोगों को जागरूक कर जन सहभागिता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।

7. विद्यालय की प्रेरक शिक्षण, सांस्कृतिक, सामाजिक एवं खेलकूद गतिविधियाँ:-
👉🏻विद्यालय की प्रेरक शिक्षण गतिविधियाँ-
*अभिनव तकनीकि
*खेल-खेल में शिक्षा
*क्विज़ शो का आयोजन
*प्रोग्रेस ट्री द्वारा प्रतिस्पर्धा की भावना
*छोटे- छोटे गीत के द्वारा ज्ञान को स्थायी बनाने का प्रयास
*प्रार्थना सभा में पाठ्यपुस्तकों की वन्दना, प्रेरक गीतों का कक्षानुसार बदल-बदल कर प्रस्तुतिकरण
*दैनिक श्यामपट्ट संदेश कार्य के अभिलेखीकरण द्वारा बच्चों के मानसिक क्षमता के विकास पर बल
👉🏻 सांस्कृतिक गतिविधियाँ-
*राष्ट्रीय पर्वों पर गीत, नाटक आदि का आयोजन
*सांस्कृतिक विरासत को सहेजने हेतु हवन, पूजन, कन्या पूजन, बसन्त पंचमी पर्व, दीपावली इत्यादि पर्वों का मंचन कर अभिभावकों को जोड़ने का प्रयास अनवरत चल रहा है।
👉🏻सामाजिक गतिविधियाँ:-
*स्वास्थ्यपरक संगोष्ठियों का आयोजन
*आयरन, एल्वेन्डाजोल आदि का ससमय वितरण
*सामाजिक जागरूकता कार्यक्रम इत्यादि
👉🏻 खेलकूद गतिविधियाँ:-
*समय सारिणी के अनुसार कक्षावार खेलकूद का समयानुसार आयोजन
*इंडोर गेम शिक्षक के संरक्षण में
*खो- खो, कबड्डी, कुश्ती अन्य मैजिक गेम का आयोजन।

8. विद्यालय और बच्चों की उपलब्धियाँ:-
👉🏻नामांकन- गाँव अत्यन्त छोटा होने के कारण तथा भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार अन्य गाँवों से जुड़ा न होने के कारण बच्चों की संख्या कम है, किन्तु गाँव के लगभग 95% बच्चे विद्यालय में ही नामांकित हैं।
👉🏻 उपस्थिति- विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति लगभग 80 से 85% बनी रहती है।
👉🏻 अभिभावक की अपेक्षायें- शहर से जुड़ा होने के कारण अभिभावकों का रुझान प्राइवेट स्कूल की तरफ रहता है। लेकिन जब वहाँ के अध्ययनरत बच्चों का हमारे प्राथमिक स्कूल के बच्चों के साथ तुलनात्मक अध्ययन किया जाता है तो वहाँ से हटकर बच्चे विद्यालय का रुख कर रहे हैं। हमारी शैक्षिक गतिविधियों से सन्तुष्ट होकर यह अपेक्षा करते हैं कि हमारा बच्चा अंग्रेजी में बात करे। उनकी अपेक्षाओं को ध्यान में रखकर विद्यालय परिवार इस दिशा में प्रयत्नशील है।

9. शिक्षक और विद्यालय की उपलब्धियाँ:-
*पठन क्षमता प्रशिक्षण प्रमाणपत्र (डायट-2006)
*आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण प्रमाणपत्र (डायट-2005-06)
*आवश्यकता आधारित प्रशिक्षण प्रमाणपत्र (डायट-2008-09)
*प्रशस्ति पत्र (2007-08)
*शिक्षण में शून्य निवेश नवाचार प्रदर्शनी में प्रतिभाग (2017)
*उत्कृष्ट विद्यालय पुरस्कार (2019)

10. मिशन शिक्षण संवाद के लिए संदेश:-
मिशन शिक्षण संवाद शिक्षकों की वैचारिक अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है। इसके द्वारा बेसिक शिक्षा की धूमिल हो रही छवि को सुधारते हुए बेसिक शिक्षा के उत्थान व शिक्षक के सम्मान का प्रयास अनवरत किया जा रहा है। यह प्रयास अनवरत अपने उद्देश्यों की प्राप्ति में सफ़ल हो, यही मेरी शुभकामनाएं हैं।

11. शिक्षक समाज के लिए संदेश:-
शिक्षक राष्ट्र निर्माता होता है। यदि एक शिक्षक को अपने दायित्वों के निर्वहन में आत्मिक सन्तुष्टि की अनुभूति होती है तो वह एक श्रेष्ठ शिक्षक की श्रेणी में आता है।

संकलन एवं सहयोग: बबलू सोनी
टीम मिशन शिक्षण संवाद

नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद अथवा राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बन्धित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के जनपद एडमिन अथवा राज्य प्रभारी अथवा 9458278429 अथवा 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।

सादर:
विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
21-01-2020

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