नमामि माता शारदे

नमामि माता शारदे, नमामि माता शारदे,
हंस वाहिनी शारदे, विद्या दायिनी शारदे,
अज्ञानता के सागर से, मुझे तू पार उतार दे।
नमामि माता शारदे, नमामि माता शारदे।

इस मलीन कंठ से, मधुर वचन निकलते नहीं,
मेरे कंठ में विराज कर, तू मेरा कंठ संवार दे।
नमामि माता शारदे, नमामि माता शारदे।

तन है मैला, मन भी मैला, मेरा रोम रोम है मैला,
शुचिता का नव ज्ञान देकर, कर मेरा उद्धार दे।
नमामि माता शारदे, नमामि माता शारदे।

यह जग दुष्टों का मेला, मैं यहाँ बिल्कुल अकेला,
है बुद्धिदाता, जग की माता, विवेक का भंडार दे।
नमामि माता शारदे, नमामि माता शारदे।

निज स्वार्थ त्याग, मैं सदा परमार्थ के पथ पर चलूँ,
दूसरों का दुःख-दर्द समझूँ, तू ऐसे मुझे विचार दे।
नमामि माता शारदे, नमामि माता शारदे।

ज्ञान के अभाव में, कहीं प्रगति न मेरी बाधित हो,
नित नये ज्ञान-विज्ञान का, मुझको सदा उपहार दे।
नमामि माता शारदे, नमामि माता शारदे।

रचयिता
प्रदीप कुमार,
सहायक अध्यापक,
जूनियर हाईस्कूल बलिया-बहापुर,
विकास खण्ड-ठाकुरद्वारा,
जनपद-मुरादाबाद।

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