बसंत

आया बसंत आया बसंत,
छायी जग में शोभा अनंत।
आहट है बसंत आने की,
होती है वो शिशिर विदा।
वसुधा ने श्रृंगार करने को,
पात  पुराने किये जुदा।
सरसों खेतों में उठी फूल,
बौरें आमों में उठी झूल।
बेलों  में फूले नये फूल,
आया बसंत आया बसंत।
लेकर सुगंध बह रही पवन, 
भंवरे गीत सुनाते मंद पवन।
शीत लहर ठिठुरती है,
जौ की बाली द्वार लहराती है।
आया बसंत आया बसंत,
अपने साथ खेतों में हरियाली लायी।
किसानों के मन में हैं खुशियाँ छायी,
घर-घर में है खुशियाँ छायी।
हरियाली बसंत ऋतु में आयी,
आया बसंत आया बसंत।
                   
रचयिता
सरिता भटृ,
प्रधानाध्यापक,
रा0 प्रा0 वि0 फलई,
विकास खण्ड-अगस्त्यमुनि,
जनपद-रुद्रप्रयाग,
उत्तराखण्ड।

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