४०५~ हेमंत कुमार चौकियाल रा०उ०प्रा०वि० डांगी गुनाऊं, ब्लॉक- अगस्त्यमुनि, रूद्रप्रयाग, उत्तराखंड

🏅अनमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से देवभूमि उत्तराखंड से अनमोल रत्न शिक्षक साथी  हेमंत कुमार चौकियाल जी से करा रहे हैं जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और समर्पित व्यवहार कुशलता से अपने विद्यालय को सामाजिक विश्वास का केन्द्र बना दिया।

आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:

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👉1. शिक्षक का परिचय:-
हेमंत कुमार चौकियाल
रा०उ०प्रा०वि० डांगी गुनाऊं, ब्लॉक- अगस्त्यमुनि, जनपद- रूद्रप्रयाग, राज्य- उत्तराखंड
प्रथम नियुक्ति:-25-04-1991
वर्तमान विद्यालय में नियुक्ति- 03-07-2015

👉2+3- विद्यालय की समस्याएं और समाधान के प्रयास:-
👉(a) आधारिक विद्यालय स्यासूं (ऊखीमठ) में कार्यभार ग्रहण करते वक्त यह विद्यालय पूर्व अध्यापक की पदोन्नति के फलस्वरूप चार माह से बंद पड़ा था। अत: विद्यालय परिसर काफी गन्दगी व अव्यवस्थित व टूट -फूट रखा था तथा छात्र /छात्रा अगल- बगल के गांवों में प्रवासित थे। कार्यभार ग्रहण करते ही सबसे पहले चुनौती बंद विद्यालय को साफ स्वच्छ बनाकर पटरी पर लाने की थी। अत: जन सहयोग लेकर यह कार्य संपादित किया गया और जल्दी ही सफेदी रंग वार्निश कर विद्यालय को आर्कषक रूप दिया गया तथा सभी 5 से 10 वय वर्ग के बच्चों के नामांकन विद्यालय करने का प्रयास किया गया तथा पूर्णत: सफलता भी मिली।
👉(b) दूसरी बड़ी समस्या बालिकाओं को घर के कार्यों और खेती- बाड़ी के कार्यों में लगाए जाने से विद्यालय न भेजा जाना था। जिस पर समाज के साथ व्यापक विचार-विमर्श कर अभिभावकों को बालिकाओं को प्रवेशित करने के लिए राजी और प्रेरित किया गया तथा सेवित क्षेत्र की सभी बालिकाओं को विद्यालय में प्रवेशित करने में सफलता पाई।
👉( C) विद्यालय को सजाने- संवारने तथा भौतिक संसाधनों की कमी को पूरा करने के लिए समाज का आवाह्न कर कुर्सी, मेज, श्यामपट, टाटपट्टी की व्यवस्था की गई।
👉(D) ग्राम शिक्षा समिति अध्यक्ष के साथ मिलकर जीर्ण-शीर्ण होने के कारण, नये भवन की स्वीकृति के प्रयास के फलस्वरूप- 1997 में नया विद्यालय भवन निर्माण करवाने में सफलता पाई।
👉(E) विद्यालय को आकर्षक बनाने शिक्षण को रूचिकर बनाने व अभिभावकों को विद्यालय से जोड़ने के लिए सेवित क्षेत्र में किसी अविभावक के घर में किसी विशेष अवसर पर विद्यालय को कोई वस्तु दान देने की परम्परा विकसित की। जिसमें परिवार में किसी के जन्म होने, शादी होने, नौकरी लगने आदि जैसे यादगार पलों को हमेशा यादगार बनाए रखने के लिए दान पट्ट पर उक्त व्यक्ति /महिला द्वारा दान दी गई सामग्री अथवा धनराशि का उल्लेख कर दिया जाता था।
👉(F) वर्ष 1992-93 में तत्कालीन चमोली जनपद में ज्ञान गंगा कार्यक्रम के तहत विद्यालय समय से इतर समय में 15 से 40 आयु वर्ग के महिला -पुरूषों को विद्यालय में बैठने का स्थान देकर साक्षरता कार्यक्रम में महत्वपूर्ण योगदान किया। 👉( G) वर्ष 1998 में अधिक ठहराव नीति के तहत अनिवार्य स्थानांतरण के बाद 1999 में प्रारंभ विद्यालय भवन निर्माण को (रा०प्रा०वि० जालमल्ला ) अपर्याप्त धन (केवल 93000/₹ के चलते) चन्दा व श्रमदान से पूर्ण करवा कर आकर्षक विद्यालय भवन का निर्माण कर सामाजिक सहभागिता का एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया।
👉(e) सभी छात्र हिन्दू धर्मावलंबी होने से हिन्दू परम्परानुसार अंखण्ड रामायण पाठ, हवन और सामूहिक भोज आयोजित कर क्षेत्र में एक सर्वथा नईं परम्परा का श्रीगणेश कर विद्यालय भवन का उद्घाटन करवाया।
👉(f) शैक्षिक उपकरणों व खेल सामग्री की प्राप्ति के लिए एक अभिनव प्रयास करते हुए एक विशेष नवाचार किया गया जो बाद में आस- पास के विद्यालयों, विकासखण्ड और जनपद में भी फैला।
श्री चौकियाल एवं साथी शिक्षक श्री के०एस० पुष्पवान द्वारा सेवित बस्ती के सभी 80 परिवारों से घर-घर जाकर सम्पर्क स्थापित किया गया। जिसमें प्रत्येक परिवार को अपनी आर्थिक सामर्थ्य और इच्छा /श्रद्धा अनुसार धन व वस्तु दान देने के लिए प्रेरित किया गया। जिसमें विद्यालय को लगभग सभी शैक्षिक उकरणों के अलावा 18000/₹ प्राप्त हुए। यहाँ भी श्री चौकियाल द्वारा अभिनव पहल करते हुए ग्राम शिक्षा समिति के साथ विद्यालय स्तर पर आय-व्यय समिति का गठन किया गया। जिसके द्वारा इस धन का विद्यालय की आवश्यकतानुुसार व्यय किया जाता था। इस धन से विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजनों हेतु वस्त्राभूषण व साज-सज्जा की वस्तुएं क्रय की गई। साथ ही अभिभावकों में से ही विद्यालय स्तर पर रख रखाव समिति, निर्माण समिति, व्यवस्था समिति, सांस्कृतिक कार्यक्रम समिति, माता संघ, आदि का निर्वाचन /मनोनयन किया गया।

👉4- विद्यालय की प्रेरक शिक्षण गतिविधियाँ: -
👉(a) नियुक्ति के पहले सत्र से ही टी०एल०एम० के माध्यम से शिक्षण कार्य।
👉(b) विद्यालय न आने वाले बच्चों, धीमी गति से सीखने वाले बच्चों और सीखने में रूचि न लेने वाले बच्चों में कैसे धीरे- धीरे पढ़ने-लिखने की ओर प्रेरित कर सकते हैं? इसके लिए वर्ष 1993 में अभिभावकों के साथ मिलकर एक रणनीति बनाई। रणनीति के तहत सेवित क्षेत्र के 8 से 15 आयु वर्ग के सभी बच्चों को सुबह 1 घन्टे (शीतकालीन समय में 7:30 बजे से 08:30 बजे सुबह और ग्रीष्म काल में 5:30 बजे से 6:30बजे) तथा शाम को 2 घंटे (शीतकालीन में 4:00 से 06:00 बजे तथा ग्रीष्म काल में 05:30 से 07:30 बजे) विद्यालय में आना अनिवार्य बना दिया। अनेक अवरोधों के बाद यह नियम लगातार बना रहा।
इस समय में बच्चे शारीरिक शिक्षा के रूप में खेल, व्यायाम व योगासनों का अभ्यास करते थे। इस कार्य में गांव के शिक्षित युवाओं का खूब साथ मिलता रहा। फलतः गांव के बच्चों का ही नहीं अपितु आम जनमानस का विद्यालय से लगाव बढ़ा। अब गांव के बड़े -बूढ़े, युवा व बुजुर्ग भी इस समय में विद्यालय में आते थे तो कोई प्रत्यक्ष बच्चों के साथ जुड़ जाता था तो कोई परोक्ष बच्चों का उत्साह बढ़ाता था, शाबासी देता था। इस कार्यक्रम का शारीरिक, मानसिक ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी लाभ बच्चों व विद्यालय को मिला। अब बच्चे विद्यालय से घर बड़ी मुश्किल से भेजने पड़ते थे।
👉 (c) तत्कालीन समय में बच्चों का रात्री में भी विद्यालय में रूके रहना एक आम बात थी। यहां भी एक नवाचार अपनाया गया और कक्षा 5 तक के ही नहीं अपितु सेवित क्षेत्र के कक्षा 12 वीं तक के बच्चों को विद्यालय में रात्रि विश्राम के लिए प्रेरित किया तथा समय विभाजन करते हुए रात्रि 8:00 बजे से 9:00 बजे तो इन बड़े बच्चों द्वारा प्राथमिक स्तर के बच्चों की वैयक्तिक शिक्षण कमियों को दूर करने का प्रयास किया जाता था तथा बाकी समय में श्री चौकियाल द्वारा बड़ी कक्षाओं के इन छात्रों की प्रतियोगिता परीक्षाओं की (सेना में भर्ती हेतु) तैयारी में सहायता की जाती थी।
👉(d) वर्ष 1998 में भाषाई दक्षताओं की संप्राप्ति के लिए एक सर्वथा नवीन प्रयोग किया गया। विद्यालय में मेज के ऊपर एक व्यास गद्दीनुमा आसन तैयार किया गया और शर्त रख दी गई कि इस गद्दी पर वही बालक /बालिका बैठेगी जो शुद्ध उच्चारण और हाव-भाव के साथ पाठ पढ़ सकेगा। गद्दी को देखकर अनायास ही उनके द्वारा तुलसी कृत रामायण (जो विद्यालय में ही उपलब्ध थी) के वाचन का विचार आया, क्योंकि इसके अधिकांश दोहे व चौपाई सरल व गेय होते हैं। अत: बच्चों को कुछ दिन इन्ही का अभ्यास करवाया गया। उत्सुकता वश अधिकांश बच्चे दूसरे दिन अपने- अपने घरों से छोटी बड़ी आकार की रामायण पुस्तकें ले आये तो यह कार्य और भी रोचक बन गया। अब विद्यालयी समय में एक बादन इस कार्य के लिए भी निर्धारित कर दिया गया और प्रत्येक दिन अपनी योग्यता दिखाने पर एक बच्चे को इस गद्दी में बैठने का अवसर दिया जाता। बच्चों में इस प्रतिस्पर्धा का फल रहा कि कक्षा- 2 तक के बच्चों ने भी बहुत कम समय में तुलसीकृत रामायण पढ़नी सीख ली। अब कक्षा कार्य में बहुत आसानी होने लगी थी। बाद में इस नवाचार को कई नजदीकी विद्यालयों द्वारा अपनाया गया और आशातीत सफलता प्राप्त की गई।
👉(e) छात्रों की मौखिक हिन्दी भाषा की दक्षताओं की प्राप्ति के लिए लगभग 2500 से अधिक गेय कविताओं का संग्रह विभिन्न हिन्दी काव्य व महाकाव्यों से संग्रहित कर स्वयं के लेख में लिपिबद्ध कर छात्र /छात्राओं को अभ्यास करवाया जाता रहा है। जिसका प्रयोग अन्त्याक्षरी के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा तथा हर अक्षर और हर वाक्य का उच्चारण बच्चे सही ढंग से करना सीखे।
👉(e) खेल-खेल में शिक्षा के सिद्धांत को बखूबी यहां धरातल पर उतारा। कक्षा- 1 व 2 को रुचिपूर्ण ढंग से खेल-खेल में गाते हुए अक्षर ज्ञान व अंक ज्ञान कराना व गेय कविताओं के माध्यम से गणितीय संक्रियाओं को समझाना व सिखाने की प्रशंसा सुनकर शैक्षिक सत्र 2004-05 में अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन के राज्य प्रमुख श्री अनंत गंगोला जी द्वारा भी इनके विद्यालय का भ्रमण (अनुश्रवण) किया गया। श्री गंगोला द्वारा विद्यालयी भ्रमण पंजिका में उक्त कार्य और विद्यालयी गतिविधियों की प्रशंसा अंकित की गई है।
👉(f)-वर्ष- 1994 से प्रत्येक वर्ष विद्यालयी बच्चों को प्रकृति के सानिध्य में ले जाकर पठन -पाठन के साथ- साथ प्रकृति और मानव के अन्तर्सम्बन्धों को बताने का भी वो प्रयास करते रहे हैं। यह कार्य वे स्वयं के धन, सहायता लेकर और सरकारी धन से करते रहे हैं। इसके लिए वर्ष में कम से कम एक शैक्षिक भ्रमण जरूर होता है।
👉(g) बच्चों को अपनी सभ्यता व संस्कृति से प्यार बनाए रखने के संस्कार को उनके मन व व्यवहार में बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय पर्वों के साथ स्थानीय त्योहारों व परम्पराओं को भी विद्यालय में सामूहिक रूप से मनाया जाता रहा है।

👉5- शिक्षक और विद्यालय की उपलब्धियां:-
A- नवाचार:-
👉(a) वर्ष -1991 से टी०एल०एम० की अवधारणा के समानुरूप स्वनिर्मित वस्तु समरूप बनाकर अध्यापन कार्य।
👉(b) मेढ़क के अस्थिपंजर जुटाकर, पुष्प के विभिन्न भागों को श्यामपट्ट पर गोंद, टेप से चिपकाकर अध्यापन (1992)
👉(c) - पौधे भी गर्मी-सर्दी, सुख-दु:ख, संगीत का अनुभव करते हैं? का डॉग प्लावर के पौधे पर प्रयोगिक परीक्षण. (1993)
👉(d) रात्रिकालीन कक्षाएं आयोजित कर उच्च कक्षाओं में अध्ययनरत छात्रों की मदद से उपचारात्मक शिक्षण कार्य। जिसे तत्कालीन समय में प्रयास कक्षाएं नाम दिया गया था। (1993)
👉(e) विद्यालय के भौतिक सुदृढ़ीकरण के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन और प्राप्त सहयोग राशि से कोष का निर्माण जिससे विद्यालय की छोटी-छोटी भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति।(1994)
👉(e) खेल योग व्यायाम के लिए ग्रीष्मकालीन विद्यालयी समय में 5:30 से 6:30 बजे और शीतकालीन समय में 07:30से 08:30 बजे तक योग व व्यायाम की कक्षा तथा सांय को शीतकाल में 4 से 6 बजे तथा ग्रीष्मकाल में 5:30 से 7:30 बजे तक खेल कक्षाओं का आयोजन जिसमें सेवित ग्राम के कक्षा 1 से 12 तक के सभी छात्र प्रतिभाग करते थे।(1993)
👉(f) बच्चों में वाचिक कौशल विकसित करने के लिए गेय कविताओं का संकलन कर बच्चों द्वारा लिपिबद्ध का कार्य प्रारंभ। जिससे अन्त्याक्षरी का अभ्यास करवाया जाता। (1994) जो पिछले 25 वर्षों से वर्तमान तक भी संकलन कार्य जारी है।
👉(g) बच्चों में शैक्षिक और शिक्षणेत्तर गतिविधियों में प्रतिस्पर्धा की भावना विकसित करने के लिए उत्कृष्ट शैक्षिक प्रदर्शन, सर्वश्रेष्ठ अनुशासन, उत्कृष्ट स्वच्छता, विद्यालय खेल रत्न, संगीत, सामाजिक कार्य, सर्वश्रेष्ठ सांस्कृतिक कलाकार, सर्वश्रेष्ठ अभिभावक आदि गतिविधियों के लिए वार्षिक पुरस्कार वितरण समारोह अभिभावकों की उपस्थिति में आयोजित करना।(1996)
👉(g) भाषाई दक्षताओं की संप्राप्ति के लिए तुलसीकृत रामायण वाचन का दैनिक अभ्यास और अखण्ड रामायण पाठ का आयोजन।(1998)
👉 (e) ग्राम शिक्षा समिति (जो कालान्तर में विद्यालय प्रबन्धन समिति में परिवर्तित) की पूरी टीम व अभिभावकों को कर्तव्यनिष्ठता पूर्वक अपने दाइत्वों के निर्वहन की शपथ हेतु शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन।(1999)
👉(f) पूर्व छात्रों व उच्च कक्षाओं में अध्ययनरत छात्र/छात्राओं सहित सेवित ग्राम के युवाओं/युवतियों का सहयोग विद्यालय समय और विद्यालय समय से इतर समय में लेकर उपचारात्मक शिक्षण कार्य.इस कार्य को करने वाले युवाओं को अतिथि अध्यापक नाम दिया गया।(1999)
👉(g) देश प्रेम, कर्तव्यपरायणता की भावना बलवती करने, संवैधानिक मूल्यों की समझ बढ़ाने हेतु वार्षिक परीक्षा के उपरान्त देश भक्ति, कर्तव्यनिष्ठा की सीख देने वाली फिल्मों का विद्यालय में प्रदर्शन, जिसमें रात्रिकालीन समय में अभिभावकों को भी आमन्त्रित किया जाता था। (2000)
👉(e) सेवित क्षेत्र में न उग पाने वाले पौधों /वृक्षों का (केला, बांस, अमरूद) का सफल प्रायोगिक परीक्षण। (2001)
👉(f) शीतकाल में बर्फवारी होने के कारणों व परिणाम का छात्रों के साथ प्रायोगिक अध्ययन।(2002)
👉(f) प्रदेश में सर्वप्रथम बालअखबार की अवधारणा के अनुरूप बच्चों द्वारा संकलित व स्वरचित कविता, कहानी, चुटकिले, पत्र, चित्रों द्वारा निर्मित बाल अखबार का प्रदर्शन। (2004)
👉(g) 2011 से 2015 तक उच्च प्राथमिक कक्षाओं में अंग्रेजी विषय में बच्चों में लेखन अक्षमताओं पर क्रियात्मक शोध करके हुए नवाचारी कार्य। (2015)
👉(h) पौधों की वृद्धि दर का अध्ययन कर मापन। ( 2016)
👉(i)-शैक्षिक सत्र 2015 से लगातार तापमान का अध्ययन और तापमान में परिवर्तन के कारणों व परिणामों पर छात्र/छात्राओं के साथ शोध कार्य।
👉(j) शैक्षिक सत्र 2016-17 में दैनिक, मासिक, वार्षिक वर्षा को लेकर वर्ष भर की औसत वर्षा का अध्ययन।
👉(k) -मध्याह्न भोजन में रूचि न लेने वाले छात्रों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन और रोचक विधि से बच्चों को प्रतिफल का ज्ञान करवा कर बच्चों द्वारा मध्याह्न भोजन रूचि के साथ करने की भावना का विकास करने में सफलता। (2017)
👉(l) एन०सी०ई०आर०टी० पुस्तकों से इतर प्रकरणों की स्पष्टता के लिए पुराने अखबारों, पत्र -पत्रिकाओं की सहायता से हिन्दी, गणित, विज्ञान, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का विकास, अंग्रेजी विषय को लेकर 9 सहायक पुस्तकों का निर्माण।

👉B- सम्मान और पुरस्कार:-
1- वर्ष 2000 में शिक्षक दिवस के अवसर पर न्याय पंचायत स्तर पर सर्वश्रेष्ठ शिक्षक का पुरस्कार।
2- वर्ष 2008 में ब्लॉक टी०एल०एम० प्रदर्शनी में तृतीय स्थान।
3- वर्ष 2008-09 में दक्षता आधारित मूल्यांकन कार्य में मूल्यांकन दल सदस्य के रूप में राज्य परियोजना निदेशक (राधिका झा, I.A.S.) द्वारा प्रशंसा पत्र।
4- वर्ष 2009 में ब्लॉक टी एल एम प्रदर्शनी में प्रथम पुरस्कार।
5- वर्ष 2010 में जनपदीय शिक्षा मेला टी एल एम प्रदर्शनी में विशेष पुरस्कार।
6- वर्ष 2009 में बालवाणी बाल अखबार के संपादन मण्डल के सदस्य के रूप में योगदान तथा उत्कृष्ट बाल साहित्य लेखन कार्य हेतु सम्मान पत्र।
7- वर्ष 2011 जनपदीय टी एल एम प्रदर्शनी में द्वितीय पुरस्कार।
8- वर्ष 2017-18 में शिक्षा, खेल, योग, व्यायाम में उल्लेखनीय कार्य के लिए स्व० कालिका प्रसाद भट्ट स्मृति शिक्षक गौरव सम्मान।
9- वर्ष- 2018 गणतन्त्र दिवस पर जिलाधिकारी रूद्रप्रयाग द्वारा प्रशंसा पत्र व ट्रॉफी द्वारा सम्मान।
10- वर्ष 2018 उत्तरांचल शिशुलोक गौरव सम्मान।
11- वर्ष 2018 उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग द्वारा प्रशंसा पत्र।
12- वर्ष 2018 अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा मार्गदर्शक शिक्षक के रूप में योगदान के लिए प्रशस्ति पत्र।
13- उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ रूद्रप्रयाग द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान।
14- जनवरी 2019 मिशन शिक्षण संवाद उत्तराखण्ड द्वारा उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान।
15- फरवरी 2019 भाऊराव देवरस सम्मान।
16- समग्र शिक्षा अभियान द्वारा प्रकाशित बाल अखबार आखर के उप संपादक के रुप में सराहनीय योगदान के लिए सर्व शिक्षा अभियान, समग्र शिक्षा अभियान एवं जिलाधिकारी महोदय रूद्रप्रयाग द्वारा सम्मान /प्रशंसा पत्र।
17- जून 2019 अखिल भारतीय शैक्षिक विमर्श एवम नवाचारी शिक्षक सम्मान।
18- सितम्बर 2019 "मन्दाकिनी के सितारे" सम्मान / प्रशंसा पत्र।
19- Ministry Of Skill Development And Entrepreneurship द्वारा आयोजित क्विज प्रतियोगिता 2019 में प्रतिभागिता प्रमाण पत्र।
20- श्री अरविन्दो सोसायटी द्वारा शिक्षा में शून्य निवेश नवाचार पर प्रशंसा पत्र।
21- दिसम्बर 2019 केदार घाटी प्रतिभा सम्मान।
22- उत्कृष्ट शैक्षिक वातावरण सृजन हेतु शिक्षा मंत्री माननीय अरविंद पांडेय जी द्वारा सम्मान पत्र।

👉6 - विद्यालय और बच्चों की उपलब्धियां: -
A- नामांकन विवरण- शैक्षिक सत्र 1991 में 13 छात्राओं से शिक्षक जीवन की शुरूआत हुई। प्राइवेट विद्यालय नजदीक होते हुए भी एक भी बच्चा 7 वर्षों के कार्यकाल में इधर -उधर नहीं गया।
👉वर्ष 1998 में स्थानांतरण के फलस्वरूप नलीन विद्यालय में 52 बच्चों से प्रारंभ यात्रा 97 नामांकित बच्चों तक पहुंची, जब आसपास के गांव ही नहीं अपितु सेवित ग्राम के वासियों के रिस्तेदारों के बच्चे भी पढ़ने और प्रवेश लेेने आए।
👉2005 में एक संस्था द्वारा बच्चों की बहुलता को देख विद्यालय खोलने का प्रयास किया गया परन्तु जल्दी ही शैक्षणिक रूप से मुकाबला न कर पाने के कारण उक्त संस्था का विद्यालय बंद हो गया।
👉 स्थानान्तरण के पश्चात वर्तमान में न्यूनतम आबादी वाले गाँव के रा०उ०प्रा०वि० डांगी गुनाऊं की जिम्मेदारी प्राप्त हुई है।
वर्तमान विद्यालय में सत्र
2019-20 में कुल 08 छात्र/छात्रा नामांकित हैं। क्योंकि सेविक ग्राम पंचायत में 11 से 14 वय वर्ग के कुल 8 बच्चे ही हैं। आगे देखते है मंजिल कहाँ तक तय हो पाती है।
👉B- बच्चों की मासिक उपस्थिति को बच्चों व सामाजिक ऑडिट हेतु चार्ट पर अंकित कर दिया जाता है, जिसके अवलोकन से बच्चों में अधिक से अधिक उपस्थिति दर्ज कर वार्षिक पुरस्कार वितरण में पुरस्कार पाने की होड़ रहती है. औसतन हर बच्चे की उपस्थिति 98% रहती है।

👉C विद्यालय /बच्चों की उपलब्धियां:-
पुरस्कार विवरण-
👉1- वर्ष 1996 में संकुल (तत्कालीन समय में केन्द्र नाम प्रभावी) के 13 सरकारी और प्राइवेट प्राथमिक विद्यालयों में से खेलकूद प्रतियोगिता में ओवर ऑल प्रथम स्थान प्राप्त।
👉2- वर्ष 1997 में तत्कालीन समय की मंडलीय क्रीड़ा प्रतियोगिता में अन्त्याक्षरी में विद्यालय (स्यांसू) द्वारा प्रथम स्थान प्राप्त कर स्वर्ण पदक प्राप्त।
👉3- शैक्षिक सत्र 2004-05 के प्रथम कोटिकरण में विद्यालय(जाल मल्ला) जनपद स्तर पर प्रथम AB कोटि का विद्यालय घोषित।
👉4- वर्ष 2004 ( हल्द्वानी) व वर्ष 2005 में राज्य क्रीड़ा प्रतियोगिता रूद्रपुर में कब्बड्डी व खो-खो प्रतियोगिता में प्रतिभाग।
👉5- वर्ष 1996 से 2009 तक प्राथमिक वर्ग की जनपदीय अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता में कई बार प्रतिभाग।
👉6- वर्ष 2010 में बाल शोध मेला प्रतियोगिता में ब्लॉक प्रथम स्थान.
👉7- वर्ष 2011में भाषण प्रतियोगिता में ब्लॉक में प्रथम स्थान।
👉8- वर्ष 2017 में छात्र रोहित बालशोध मेला में ब्लॉक में प्रथम।
👉9- वर्ष 2017 में छात्र रोहित ने ब्लॉक व जनपद विज्ञान प्रदर्शनी में प्रथम तथा राज्य स्तर पर (रिशिकेश में) तृतीय स्थान प्राप्त किया।
👉10- वर्ष 2017 में छात्रा कु०आस्था, कु० तनीषा, रोहित जनपदीय इंस्पायर अवार्ड प्रतियोगिता के लिए चयनित।
👉11- वर्ष 2017 में छात्रा कु० आस्था राज्य स्तरीय इन्स्पायर अवार्ड एवम मानक प्रतियोगिता के लिए चयनित व देहरादून में प्रतिभाग।
👉12- वर्ष 2018 में छात्र रोहित रौंतेला राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी प्रतियोगिता के लिए चयनित। अहमदाबाद (गुजरात) में राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में प्रतिभाग।
👉13-वर्ष 2018 में छात्रा कु० आस्था जनपदीय विज्ञान प्रदर्शनी प्रतियोगिता में प्रथम।
👉14-वर्ष 2018 में छात्रा कु० शालिनी द्वारा राज्य विज्ञान महोत्सव में (अल्मोडा) विज्ञान प्रदर्शनी में प्रथम स्थान प्राप्त।
👉15- वर्ष 2018 में छात्रा कु०आस्था व कु०शालिनी द्वारा स्व० बी०मोहन नेगी स्मृति कला प्रतियोगिता (जनपदीय) में प्रतिभाग।
👉16- छात्र पवन द्वारा खेल महाकुंभ 2018 में न्याय पंचायत स्तर में 100 मी० दौड़ में तृतीय स्थान।
👉17- दि0- 04-08-2019 को छात्रा कु०शालिनी को जन अधिकार मंच रूद्रप्रयाग द्वारा रूद्ररत्न सम्मान।
👉18- वर्ष 2019 विज्ञान महोत्सव विज्ञान प्रदर्शनी में छात्रा कु०आंचल ने स्वच्छता व स्वास्थ्य विषय की प्रतियोगिता में जनपद में प्रथम स्थान।
👉19- छात्रा कु०आँचल, रा०इ०का०कोटद्वार में सम्पन्न विज्ञान प्रदर्शनी स्वच्छता व स्वास्थ्य विषय में राज्य में प्रथम स्थान।
👉20- उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ रूद्रप्रयाग द्वारा छात्रा कु०आंचल का प्रशस्ति पत्र व ट्रॉफी द्वारा सम्मान।
D - प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता का विवरण- 00
E- अन्य उपलब्धिया-
👉1-छात्र रोहित के मॉडल "अपशिष्ट प्रबन्धन तथा जलाशयों का संरक्षण" की उपयोगिता के बारे में देश के विभिन्न अखबारों तथा पत्र पत्रिकाओं ने प्रमुखता से आलेख प्रकाशित किए।
👉2- छात्रा कु०शालिनी के मॉडल "प्रस्तावित रिशिकेश -कर्ण प्रयाग रेलवे मार्ग निर्माण में ध्यान में ऱखी जाने वाली आवश्यक सावधानियों" का संज्ञान अखबारों व टी वी चैनलों के माध्यम से कार्य दाई संस्था ने भी लिया।
👉3- छात्रा कु०आस्था के मॉडल भूस्खलन जोन कलियासौड़ के ट्रीटमेंट के एक उपाय का संज्ञान लोक निर्माण विभाग रूद्रप्रयाग द्वारा भी लिया गया।
👉4- अनाथ छात्रा कु०शालिनी को उसकी उपल्ब्धियों हेतु अखिल भारतीय महिला सम्मेलन 2019 में मुख्य वक्ता के रूप में आमन्त्रित किया गया। जहां शालिनी द्वारा देश की जानी मानी महिला हस्तियों (रितु खण्डूड़ी विधायक, दीप्ती रावत राज्य मन्त्री, नंदनी देयास CEO लोड स्टार, ऊषा नेगी बाल आयोग अध्यक्ष उत्तराखण्ड, रेखा शर्मा अध्यक्ष राष्ट्रीय महिला आयोग) के साथ मंच साझा किया गया।

👉7- मिशन शिक्षण संवाद के लिए संदेश:
दूसरों के जीवन में आशा, उत्साह और विश्वास की जोत जगाने से पहले स्वयं अपने जीवन में इन गुणों का प्रकाश करना जरूरी है, तभी हम दूसरों को कुछ देने के योग्य बन सकते हैं।
उपरोक्त उक्ति के भावों की ही तरह मिशन शिक्षण संवाद परिवार से परिचय के बाद मुझे अपने शिक्षण के तौर तरीकों को विस्तृत करने का एक बड़ा मंच मिला, जहाँ आपसी सहमति, समन्वय व साझाकरण से मुझे बहुत कुछ सीखने /समझने को मिला। यहाँ दैनिक रूप से किए जाने वाले श्यामपट कार्य से यह बात सीखने को मिली कि बूंद-बूंद से घड़ा कैसे भरा जा सकता है। प्रत्येक दिन के सामान्य ज्ञान के प्रश्न के अलावा किस महापुरुष की जयन्ती /पुण्यतिथि है, यह बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी होती है। छोटी -छोटी जानकारियों से प्रत्येक दिन अपना व छात्र/छात्राओं का खजाना समृद्ध होता जा रहा है। हिन्दी भाषा हो या आंग्ल भाषा या गणित, विज्ञान, इतिहास हो या सामाजिक अध्ययन हर विषय की जानकारी दैनिक रूप से दिनों दिन समृद्ध करती जा रही है।
समय प्रबंधन कैसा हो? यह भी मिशन शिक्षण संवाद से सीखने में मदद मिली, क्योंकि यहां हर कार्य के लिए समय नियत किया गया है। एक शिक्षक की अपने पेशे, कर्तव्य और उत्तरदायित्वों के प्रति समर्पण और निष्ठा कैसी हो? इसका श्री लक्ष्मण सिंह मेहता जी से अच्छा उदाहरण कोई दूसरा नहीं है।
मैं उनका बहुत- बहुत साधुवाद ज्ञापित करते हुए हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ तथा बहुत बहुत शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ।

👉8 - शिक्षक समाज के लिए संदेश:-
यदि हम संयम विनम्रता और धैर्य से कार्य करना सीख लें तो जीवन में ऐसी कोई बाधा शेष ही नहीं रहती जिसका समाधान हम स्वयं न पा सकें। हमेशा सकारात्मक नजरिया रखें तो समस्याएं बहुत छोटी हो जाती हैं।
A Bad Teacher Complaints An Average Teacher Explains, A Good Teacher Facilities And A Great Teacher Inspires.

साभार:-- माधव सिंह नेगी
📝💐संकलन, सहयोग व प्रस्तुतिकरण के लिए मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर से उत्तराखण्ड राज्य प्रभारी श्री लक्ष्मण सिंह मेहता जी का हार्दिक आभार व धन्यवाद।

नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद अथवा राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बन्धित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के जनपद एडमिन अथवा राज्य प्रभारी अथवा 9458278429 अथवा 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।
सादर:
विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
18-01-2020
शिक्षक साथी भाई हेमन्त कुमार चौकियाल जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपने सकारात्मक प्रयासों से विद्यालय को सामाजिक विश्वास का केन्द्र बनाया।

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