भारत पर्यटन दिवस

भारत पर्यटन दिवस
   २५  जनवरी
                 
प्रकृति की गोद में
जन्म हुआ मानव का,
पाया वरदान उसने
पुण्य सत्कर्मों का।
झंकार करते झरने
संगीत है कलरव का,
चन्दन सी खुशबू है
मौसम मधुमास का।।

कोकिल का पंचम स्वर
गुंजन है भौंरों का।
तितलियों का नृत्य देखो
स्वागत है  भौंरों का।।
सतरंगी चुनर ओढ़,
धरती फिर दुल्हन बनी
सुप्त मन में जाग उठा
साथी कोई बचपन का।।

नन्हीं फुहारों ने
तार छेड़े वीणा के,
पुलकायमान कर रहे
नृत्य हैं मयूरों के।
मेघों का गर्जन है,
नगाड़े हैं दादुर के
दमक रहीं दामिनियाँ
घटाओं में छुप छुप के।।

चाँद की अठखेलियाँ
अरु मौन शब्द अम्बर के
लोकगान हो रहे
तरु तले पड़े झूलों के।
पुरवा बयार चली
आग लगी पानी  में,
राह देखता कोई
प्रीतम के आने की।।

छुपे हुए हैं कुछ सुरम्य थल
बुझा रहे हैं नैन पिपासा।
आते रहते हैं शैलानी,
लेकर मन की जिज्ञासा।
गुफा अजन्ता और एलोरा
खजुराहो का अद्भुत मंदिर
भूलभुलैंया लखनऊ वाली,
दिल्ली का जंतर  मंतर।।

जयपुर, गोवा और ओरछा
झाँसी वाला बना किला।
गुलबर्ग और काजीरंगा
अक्षरधाम अरु लालकिला।
वैष्णो देवी अमरनाथ अरु
दुधवा नेशनल पार्क बना।
मुमताज महल की यादों में
ताजमहल  जीवन्त  बना।।

मक्का और मदीना देखो,
सोनागाछी कलकत्ता की।
अजमेर शरीफ का मेला देखो
चौपाटी माया नगरी की।
काशी, मथुरा, गया, अयोध्या
कन्याकुमारी  कमनीयम्।
मानसरोवर हरिद्वार भी
कुल्लू  मनाली रमणीयम्।।

ये स्थल ऐसे स्थल हैं
जहाँ मिले मन को विश्रांति।
झंझावातों के पाश  तोड़
मिटती अन्तर की महाक्लान्ति।।

रचयिता
बी0 डी0 सिंह,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्रथमिक विद्यालय मदुंरी,
विकास खण्ड-खजुहा,
जनपद-फतेहपुर।

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