जय हिंद

ज़ुल्म सहने से बेहतर है, प्रतिरोध कर मर जाना,
कायरता मौत बराबर है, बुज़दिल मत बन जाना।

भारत पुत्रों तुम्हें हक़ है, सिर उठाकर जीना सीखो,
हकों पे यदि आँच आये तो बेख़ौफ़ हो लड़ जाना।

वह मृतक समान है, जिसमें निज स्वाभिमान नहीं,
गुरु गोविंद सिंह सिखा गये, बहादुरी से डट जाना।

दुश्मन की चाल समझ, बन्दर घुड़की से मत डरना,
जीत तुम्हारी होनी तय है, संघर्ष से मत हट जाना।

बिना एकता बढ़ाये, कामयाबी मिलना मुश्किल है,
देश पर जब भी संकट हो, एकजुट हो जुट जाना।

जैसा भाव हो दुश्मन का, वैसा ही जबाब देना तुम,
नफ़रत के बदले प्रेम को, तुम बिल्कुल भूल जाना।

बहुत संकट सहे भारत ने, अहिंसावादी मत बनना,
शत्रु को माफ़ न कर, उसका नामोनिशान मिटाना।

रचयिता
प्रदीप कुमार,
सहायक अध्यापक,
जूनियर हाईस्कूल बलिया-बहापुर,
विकास खण्ड-ठाकुरद्वारा,
जनपद-मुरादाबाद।

विज्ञान सह-समन्वयक,
विकास खण्ड-ठाकुरद्वारा।

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