सूर्यग्रहण

एक दिन की मैं बात बताऊँ, दिन था बड़ा सुहाना।
बैठ धूप में मनु की माँ, गा रही मधुर सा गाना।
मगर अचानक धीरे-धीरे, हो गया घोर अंधेरा।
मनु बोली बिन बादल के, किसने सूरज को घेरा?
बच्चों का मन होता कोमल, प्रश्नों का एक पिटारा।
बिन उत्तर के शांत ना होता मन इनका बेचारा।
माँ से पूछा तो माँ बोली, गहन है इसको कहते।
पाप लगे जो देखे इसको और जो बाहर रहते।
पिता और दादी ने भी बात यही बतलाई
मगर मनु के मन को ये बात समझ ना आई।
अगले दिन स्कूल में भी, मित्रों से बात बताई
जान मनु के मन की पीड़ा मैडम को जाके सुनाई
हँसकर बोलीं मैडम उसकी आओ सबको बताते हैं।
सूर्य एक तारा है जिसके, सब ग्रह चक्कर लगाते हैं।
अपनी धुरी पर घूमकर पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है।
सर्दी, गर्मी, वर्षा, पतझड़, इसी कारण वो पाती है।
सूर्य और पृथ्वी के बीच जब चन्द्रमा आ जाता है।
रोशनी पृथ्वी तक नहीं है आती, वह सूर्यग्रहण कहलाता है।
नहीं कोई पाप है लगता, नहीं कोई नुकसान है।
चश्मे या एक्सरे से इसको देखना आसान है।
बड़े बड़े वैज्ञानिक इसको खगोल की विद्या कहते हैं।
सौरमंडल में सभी ग्रह,अपनी कक्षा में रहते हैं।
सूर्य और चंद्रमा के बीच ऐसे ही जब पृथ्वी आ जाती है
चंद्रग्रहण कहते हैं उसको, यह भी खगोलीय घटना कहलाती है।
चहक उठी सुन बात ग्रहों की, मन ही मन मुस्काई।
वैज्ञानिक बनने की इच्छा, मनु के मन में समाई।

रचयिता
डॉ0 रेणु देवी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय नवादा, 
विकास खण्ड व जनपद-हापुड़।

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