वसंत

हे माँ वीणावादिनी दो ऐसा संगीत
हो जाए हर दिल वसंत
हो जाए हर दिन वसंत
छा जाए जहां में वसंत।
हे माँ वीणावादिनी दो प्यार का संगीत
हर दिल में भरा हो प्यार का संगीत
झूम उठे धरती-गगन जब सुनें प्यार का संगीत
रम जाए जहां में प्यार का संगीत।
हे माँ वीणावादिनी दो एकता का संगीत
हर दिल गुनगुनाये एकता का गीत
खुश हो उठे ईश्वर भी सुन एकता का संगीत
चाहे परमात्मा भी जहां में एकता का संगीत।
हे माँ वीणावादिनी दो खुशियों का संगीत
किसी के चेहरे पर नूर ले आये मेरा संगीत
दिल की धड़कन वापिस ले आये मेरा संगीत
होंठों पर मुस्कान ला दे मेरा संगीत।
हे माँ वीणावादिनी हर पल साथ हो तेरा संगीत
सूना है जीवन बिन संगीत
जीवन में प्राण है संगीत
ईश्वर का तोहफा है संगीत।
हे माँ वीणावादिनी दो ऐसा संगीत
जीवन्त हो उठे धरती-गगन सुन संगीत
छा जाए जहां में संगीत ही संगीत
संगीत ही संगीत, सं-गीत ही सं-गीत।।

रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका, 
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।

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