आओ गिनती सीखें

आओ   बच्चों  खेले   खिलायें,
दस तक गिनती सीखें सिखायें।
      इक तालाब में मेंढक एक,
      आते उसको गीत अनेक।
कपड़े  धोते धोबी दो,
मुन्ने राजा कभी न रो।
       चारा   खाती   मछली  तीन,
       भैंस के आगे बजा मत बीन।
गाड़ी  के   हैं   पहिये   चार,
खट्टा-मीठा आम का अचार।
       एक हाथ में अंगुली पाँच,
       साँच को आती नहीं आँच।
तिलचट्टे की टाँगे छः,
दूर-दूर तू इससे रह।
       हफ्ते के दिन होते सात,
       जाड़े की लंबी है रात।
मकड़ी की है  टाँगे  आठ,
मिलकर खेलें साथ-साथ।
      आठ के बाद आता नौ,
      खेतों  में  उगते  है जौं।
दो अंकों का नम्बर दस,
पापा  की है लाल बस।
                       
रचयिता
नीलम कौर,
सहायक अध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय शाहबाजपुर,
विकास खण्ड-सिकन्दराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।

Comments

Post a Comment

Total Pageviews