अपना संविधान

अपने भारत का संविधान, सबकी आँखों का तारा है।
चाहे  नर  हो  या  नारी  हो, हम सबका यही सहारा है।।
अपने भारत का संविधान.....................१
अधिकार दिया इसने सबको सबको कर्तव्य बताया है
नित शिक्षित ज्ञानी होने का, सुन्दर मंतव्य सुझाया है।
हर तबके को इंसाफ दिया, शोषक तक इससे हारा है।।
अपने भारत का संविधान....................२
है समता  का  सन्देश  दिया, आजादी  का परिवेश दिया।
नित प्रेम  मोहब्बत दे करके, सिखलाता  भाई  चारा  है।।
अपने भारत का संविधान.....................३
ये मानवता का पोषक है, पर नहीं किसी का शोषक है
भारत की उन्नति खातिर ही इसमें जनहित का नारा है।
अपने भारत का संविधान......................४
हैं शब्द संयमित इसके सब, है जन-जन का सम्मान यहाँ
अक्षर-अक्षर में स्वाभिमान, न प्राणी का अपमान यहाँ।
युग सृष्टा  कैसे  भारत  हो, बह रही समर्पित  धारा है।।
अपने भारत का संविधान......................५
यह  संविधान है बतलाता, वीरों  की सुन्दरत सी गाथा।
हर  अनुच्छेद  से  होता  है, भारत  का  बस ऊँचा माथा।
उजियारे  को  फैला करके उन्मूलित अब अँधियारा है।
अपने भारत का संविधान.......................६
सबको आगे  बढ़ने  का ही, अधिकार दिलाता संविधान।
नित दवा मर्ज की बन करके, खुद आगे आता संविधान।
बस देश विरोधी गतिविधियाँ इसको अब नहीं गँवारा है।।
अपने भारत का संविधान......................७
है सभा  संघ  भाषण  देने का, नित देता यह अधिकार सदा
आने  जाने  रहने  का  भी  है अनुसूची में उल्लेख यहाँ
शोषित  पीड़ित  जनता  का, जीवन  बहुत  सँवारा है।
अपने भारत का संविधान....................८
है लोकतन्त्र का प्रतिनिधि ये अधिकारों का भी रक्षक है।
है मजा चखाता उसको भी, जो हक़ का करता भक्षक है।
यह 'निडर'  भाव  सबमें  भरता, ये  दुनिया से भी न्यारा है।।
अपने भारत का संविधान....................९

रचनाकार
देवेन्द्र कश्यप 'निडर',
साहित्यकार व सामाजिक चिंतक,
सहायक अध्यापक, 
प्राथमिक विद्यालय हरिहरपुर,
विकास क्षेत्र-मछरेहटा, 
जिला-सीतापुर।

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