गुरु वन्दना

बिन गुरु ज्ञान कल्पना
कोई ना कर पाएगा
गुरु ना होगा तो कोई
ज्ञान कहाँ से लाएगा

जिसने हमको पथ दिखलाया
पग पग हमको सिखलाया है
गुरु की कृपा से ही हमको
अब तो जीना आया है

किसके चरण हमें है छूने
किसको हम प्रणाम करें
किसको इज्जत देनी है
कैसे अपना नाम करें

ना ही धरा पे गुरु हो तो
हम सीख कहाँ पाएँगे
गुरु ना होगा तो
ज्ञान कहाँ से लाएँगे

संस्कार की भावना
गुरु ही सिखलाते हैं
प्रेम त्याग बलिदान देश पर
गुरु ही समझाते हैं

बिन गुरु ज्ञान कल्पना
कोई न कर पाएगा
गुरु ना होगा तो कोई
ज्ञान कहाँ से लाएगा

रचयिता
दीपक कुमार यादव,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मासाडीह,
विकास खण्ड-महसी,
जनपद-बहराइच।
मोबाइल 9956521700

Comments

Post a Comment

Total Pageviews