जल संरक्षण

जनमानस को इस  सच से आज रूबरू होने दो।
जीवन के अनमोल तत्व को यूँ न व्यर्थ बहने दो।
भावी पीढ़ी की खातिर इसे संरक्षित रहने दो।
हरियाली इस धरती को यूँ न प्यासा रहने दो।
वन उपवन व बागों को कभी न तुम मुरझाने दो।
नदी तालाब व झरनों को सदा सरोबार रहने दो।
प्रकृति के इस चक्र को सदैव नियमित रहने दो।
फिर से मतवारे सावन की पुनरावृत्ति होने दो।
तन के इस महत्वपूर्ण घटक को व्यर्थ न जाने दो।
जल है एक अनमोल रतन इसे न व्यर्थ बहने दो।।

रचयिता
सीमा कुमारी,
प्रभारी प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय कादरीबाग,
विकास खण्ड-डिबाई,
जनपद-बुलन्दशहर।

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