बूँद-बूँद

बूँद-बूँद पानी की हमको बचाना है।
वर्षा के जल को स्रोतों से मिलाना है।।

घटते भूगर्भ जल के स्तर को बढ़ाना है।
बढ़ती जनसंख्या की प्यास बुझाना है।।
बूँद-बूँद.....

सभी छतों के जल को
पाइप से ले जाना है।
हर एक पाइप जोड़ कनेक्शन को मिलाना है।।

चेम्बर में लेकर कनेक्शन कराना है।
छन्ना से छानकर पताल पहुँचाना है।।
बूँद-बूँद...

वर्षा-जल को समुद्र जाने से बचाना है।
शुद्ध पानी के स्रोतों को बढ़ाना है।

जल की समस्या से निजात दिलाना है।
सभी जीव-जंतुओं की प्यास बुझाना है।
बूँद-बूँद...

अपने छत के पानी को अपना बनाना है।
सभी छतों के पानी को कुओं में ले जाना है।

गाँव-मुहल्लों में यह अभियान चलाना है।
रैन वाटर हार्वेस्टिंग को सबको अपनाना है।
बूँद-बूँद...

वर्षा जल को बेकार बहने से बचाना है।
पौधों को लगाकर वर्षा को लाना है।

पौधों से ही तो वर्षा का ठिकाना है।
एक एक पौधा लगा जीवन को बचाना है।
बूँद-बूँद ....

रचयिता
अशर्फी लाल सिंह,
प्रधानाध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय कोल गदहिया, 
विकास क्षेत्र व जनपद-चित्रकूट।

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