कृष्ण जन्मोत्सव

कृष्ण अवतारे, जन्माष्टमी मनाए है,
सज सारे बाल, ग्वाल-वाल बन आए हैं।
खुश सब नाचते, बजाते फिरें बाँसुरी,
घर - घर आनंद आज, बृजमण्डल आए हैं।।

नयन कजरारे, घुंघराले बाल पाए हैं,
रुप से सलोने श्याम, मन को लुभाए है।
सुंदर स्वरुप धरि, छोटा सा सलोना कान्हा,
सब बालकों में आज, कृष्ण नजर आए हैं।।

कृष्ण जन्मभूमि सजी, चौराहे सजाए हैं,
देखत सुहानी सज्जा, सब हरषाए हैं।
सजे नर नारी बृज में, हुई है भीड़ भारी।
कान्हा के दरश को, सब तज आए हैं।।

लीलाओं का मंचन, भक्त कर दिखलाए हैं,
गोप गोपी ग्वाल वाल, सब बन आए हैं।
निरख अनोखी छटा, लीला बृजमण्डल में,
भक्त सब राधे कृष्ण, राधे कृष्ण गाए हैं।।

मन में उमंग भर, भजन कीर्तन गाए हैं,
नाचे मन मयूर भक्तों को, तुम नचाए हैं।
कृपा करो कान्हा जी, तुम्हारे नित दरश करूँ,
शीश चरणों में प्रभु, हरदम नवाए हैं।।
                 
रचयिता
श्रीमती नैमिष शर्मा,
बी0आर0पी0,
विकास खंड-मथुरा,
जिला-मथुरा।
उत्तर प्रदेश।

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