जय श्री कृष्ण

जब बुझ जाए, आशा दीप मेरा,
मुरझा जाए, भावना मेरे मन की।
रुक जाए, हृदय का रक्त स्पंदन,
थम जाए, नब्ज़ की धड़कन भी।
उस समय तुम, मुझे श्याम के,
मधुवन की याद दिला देना।

जब सूनापन हो, इस दुनिया में,
नीरस सा लगे, यह सारा जहाँ।
 मुझे देख, सब मुँह मोड़ चले
कहीं प्यार का, न हो नामो निशां।
उस श्यामवर्ण मुरलीधर की,
तुम मुझको याद दिला देना।

सब प्रेम से पागल कहने लगे,
ना सुध बुध रहे, मुझे तन मन की,
मान अपमान की, चिंता न रहे,
ना इच्छा बचे कोई जीवन की।
थोड़ी कृपा कर, आप मुझे
राधे-कृष्ण का मन्त्र सुझा देना।
जय श्री कृष्ण।

रचयिता
प्रदीप कुमार,
सहायक अध्यापक,
जूनियर हाईस्कूल बलिया-बहापुर,
विकास खण्ड-ठाकुरद्वारा,
जनपद-मुरादाबाद।

विज्ञान सह-समन्वयक,
विकास खण्ड-ठाकुरद्वारा।

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