सैनिकों को देश का सलाम

सुबह जब आँख खोली महफूज था,
                             तुझे सलाम।।
तू जागा रात भर मेरे लिए,
                             तुझे सलाम।।
तेरी आँखों के करण ही मेरी आँखें सलामत हैं,
ठेरी साँसों के कारण ही मेरी साँसे सलामत हैं,
जो तू है तो मैं हूँ, न हो तो मैं कहाँ,
फ़िदा मुझ पे अपनी जान करता है
                           तुझे सलाम।।
पूरब से पश्चिम तक, उत्तर से दक्षिण तक,
ठेरी पनाह में हूँ मैं, मेरी पनाह में है तू,
फिर भी झुककर मुझको, सलाम करता है,
                         तुझे सलाम।।
मैं जो कल था, वज़ह तू, मैं आज जो हूँ वजह तू
मैं जो कल होऊँगा वजह तू होगा,
इसी फिक्र में अपनी जिंदगी तमाम करता है,
                         तुझे सलाम।।
     
रचयिता
मीनाक्षी आर्या,
सहायक अध्यापिका,
राजकीय प्राथमिक विद्यालय महराया,
विकास क्षेत्र - रुद्रपुर,
जिला- ऊधम सिंह नगर,
उत्तराखंड।

Comments

  1. I appreciate your lines di... I am proud of u...this poem is dedicated to all the patriots of our country... They are real hero of our country....lots of Lv n respect to them from my side too...

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  2. जय हिन्द जय भारत
    बहुत सुंदर पंक्तियां दीदी जी।।

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