आईं छुट्टियाँ

देखो फिर से आईं छुट्टियाँ,
खूब मज़े हम करने वाले,
दादी-नानी के घर जाकर,
दूध-मलाई खाने वाले।

मम्मी-पापा करो अब जल्दी,
सूटकेस को थाम चलें,
ट्रेन पकड़ने दौड़ो जल्दी,
हुई सुबह से शाम चलें।

चिंटू, पिंटू, रिंकी, टिंकी,
ख़ुशी से झूमे जाते हैं,
40 दिन मस्ती करने के,
ढेरों प्लान बनाते हैं।

टिंकी दिल्ली जाएगी,
मामा उसके रहते हैं,
रात में सोने से पहले,
खूब कहानी कहते हैं।

चिंटू बोला सुन लो मैं भी,
कानपुर घूमने जाऊँगा,
Blue world और zoo घूमूँगा,
फोटो भेज चिढ़ाऊँगा।

पिंटू क्यों रह जाए पीछे,
तैयारी वो भी बना रहा है,
ताजमहल की सैर के लिए,
मम्मी-पापा को मना रहा है।

रिंकी को थोड़ी समझ है ज्यादा,
बोली पहले होमवर्क हो आधा,
फिर ही घूमने जाऊँगी,
बाबा-दादी की सेवा में,
थोड़ा वक़्त बिताऊँगी।

सुनकर के बातें बच्चों की,
आ गईं उनकी प्रवीणा mam जी,
बोलीं घूमो चाहे जितना,
स्वास्थ्य का ख्याल तुम रखना।

गर्मी बेटा बहुत हो रही,
बाहर मुँह को बाँध निकलना,
प्रतिदिन मौसमी फल खाकर ,
पानी अच्छे से पीते रहना।

मिलते हैं फिर 1 जुलाई को,
होमवर्क पूरा कर लेना,
मस्ती करना चाहें जितनी,
बड़ों का कहना ज़रूर मानना।

रचयिता
पूजा सचान,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मसेनी(बालक) अंग्रेजी माध्यम,
विकास खण्ड-बढ़पुर,
जनपद-फर्रुखाबाद।

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