अब चंद पग ही है चलना

रुको नहीं तुम जारी रखो, संघर्ष से संघर्ष करना,
बहुत निकट आ खड़े हुए हो, अब चंद पग ही है चलना,
थोडा धुंधल कुहासा है, थोड़ा सख्त पवनों का बहना,
बस रवि प्रताप आते ही, प्रकाशित होगा सुन्दर सपना,
कुछ और शर्वरी में जलकर सायक, कर दो खुशियाँ अर्पण,
बस होते ही भोर मिलेगा वापस खुशियों का वो दर्पण,
समस्याएँ मूल चुनौती हैं, दूर नहीं इनसे भगना,
बहुत निकट आ खड़े हुए हो, अब चंद पग ही है चलना,
एक हार से कुंठित होकर शांत नहीं बैठा करते,
कई चोट सहकर ही पत्थर भी भगवान बना करते,
हार मानने वालो को कभी शूरवीर नहीं कहते,
कर्मभूमि में संघर्षरत नर अक्सर इतिहास हैं रचते,
असफलताओं के अग्निकुंड में कुछ और नींदों की आहुति देना,
बहुत निकट आ खड़े हुए हो, अब चंद पग ही है चलना,


रचयिता       
जय श्री सैनी 'सायक',
प्राथमिक विद्यालय कुकहा रामपुर,
विकास खण्ड-सिंहपुर, 
जनपद-अमेठी।

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